अमेरिकी नियामकों ने उस नेट न्यूट्रैलिटी कानून को वापस ले लिया है, जिसमें इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिए सभी तरह की सामग्री को समान रूप से उपलब्ध कराना अनिवार्य था। वहां के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन ने रिपब्लिकन द्वारा नियुक्त भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अजित पई के प्रस्ताव को वोटिंग में 3-2 से स्वीकार कर लिया।
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आलोचकों का कहना है कि यह कदम उपभोक्ताओं के हित के खिलाफ है और केवल बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों की मदद पहुंचाने वाला है। रिपब्लिकन बहुमत वाले आयोग ने 2015 के ओबामा प्रशासन के नेट न्यूट्रैलिटी के नियमों को पलट दिया है, जिसमें यह प्रावधान था कि सभी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को सभी इंटरनेट सामग्री को समान रूप से उपलब्ध कराना है।
वोटिंग के बाद एफसीसी ने एक बयान में कहा है कि इस फैसले से बहुप्रतीक्षित नियामक फ्रेमवर्क बहाल हो गया, जिससे करीब 20 साल तक इंटरनेट तेजी से बढ़ा। इसमें कहा गया है कि विस्तृत कानूनी और आर्थिक विश्लेषण के बाद और सभी पक्षों की प्रतिक्रिया जानने के बाद यह फैसला किया गया है।
पुराने फैसले इंटरनेट के पूरे तंत्र पर एक बोझ था। इस फैसले के बाद हम 2015 के पहले की व्यवस्था में लौट रहे हैं। आयोग ने कहा कि यदि कोई सेवा प्रदाता प्रतिस्पर्धा रोधी और गलत गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकेगी।
यह है नेट न्यूट्रैलिटी
1- इंटरनेट सामग्री बिना भेदभाव के मिले
2- हर सामग्री के लिए एक ही शुल्क
3-अभी अलग-अलग सेवा के लिए अलग-अलग चार्ज
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