जिस तरह घर का होना जरूरी है उसी तरह घर में बनी खिड़कियों का भी होना जरूरी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के किसी भी कोने में अगर खिड़की है तो उसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। वास्तु शास्त्र हमेशा घर के उन चीजों के बारे में बताता है जिन पर हमारा कभी ध्यान जाता ही नहीं फिर चाहे वह खिड़कियां हों दरवाजे हो या फिर दहलीज हो।
खिड़की के बारे में कहा जाता है कि वास्तु के हिसाब से ही खिड़कियों का निर्माण होना चाहिए अगर यह गलत दिशा में बनी है तो सुख समृद्धि में बाधा आती है और दुर्भाग्य का वास होता है।
क्या होते हैं खिड़कियों से जुड़े टिप्स
वास्तु शास्त्र कहता है की खिड़कियां कैसी होनी चाहिए के विषय में बताया गया है। लड़कियों की संख्या की बात करें तो हमेशा सम संख्या ही होनी चाहिए जैसे कि 2,4,6,8 इत्यादि। विषम संख्या में अगर खिड़कियां हैं तो इसे वास्तुशास्त्र में सही नहीं माना जाता।
ज्योतिष शास्त्र बताते हैं कि खिड़कियों की दिशाएं निर्धारित होनी चाहिए, खिड़कियों को घर के पूर्व दिशा में या पश्चिम दिशा में या फिर उत्तर दिशा में होना शुभ माना जाता है।
वास्तु शास्त्र कहता है कि पूर्व दिशा को सूर्य देव का प्रतीक माना जाता है और इस दिशा में हमेशा सूर्य देव की कृपा बनी रहती है जिससे कि घर में आने वाली सूर्य की किरने हमेशा पॉजिटिव एनर्जी देती है इसलिए इस दिशा में ज्यादातर खिड़कियां होनी चाहिए। इस दिशा में खिड़कियां होने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और घर भी तरक्की का माहौल रहता है।
उत्तर दिशा में अगर खिड़कियां होती है तो धन कुबेर की कृपा बरसती रहती है क्योंकि उत्तर दिशा कुबेर का प्रतिबिंब होती हैं जिस कारण इस दिशा की खिड़कियां हमेशा फलदाई होती है।
खिड़कियां हमेशा दो पल्ले वाली होनी चाहिए और वह अंदर की ओर होनी चाहिए इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें फिर से आवाज ना आए।
अगर घर के मुख्य द्वार पर खिड़की है तो मुख्य द्वार पर दोनों तरफ समान आकार की खिड़कियां होनी आवश्यक है कहा जाता है कि इससे चुंबकीय चक्र पूरा होता है और घर में धन का अंबार लगा रहता है और ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है।