पतियों की बढ़ाना चाहती है उम्र तो ऐसे करें वट सावित्री व्रत

  हिंदू धर्म में त्योहारों का महत्व है। व्रत कोई भी हो अगर श्रद्धा और भक्ति भाव से रखा जाए तो उसका भी असर पड़ता है। वट सावित्री व्रत की बात करें तो इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत विवाहित महिलाएं धारण करती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हैं। वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाती है।
व्रत धारण करने का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि – दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से लेकर 10 जून शाम 04:22 बजे तक इस व्रत का शुभ मुहुर्त रहेगा।
व्रत की विधि
सूर्योदय से पहले उठ जाएं और अपने दैनिक नित्यकर्म को करने के बाद स्नान कर लें। स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प धारण करें। इसके बाद सुहागिन महिलाएं अपना शृंगार करें। शास्त्रों के अनुसार  व्रत के दिन पीला सिंदूर लगाना शुभ माना गया है। पूजा करते समय बरगद के वृक्ष के पास सावित्री और सत्यवान के साथ ही यमराज की मूर्ति रख लें। इसके बाद वट वृक्ष को जल अर्पित करें। पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं। वृक्ष के पास सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति की पूजा करें। पूजा करते समय बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाएं। इसके बाद बरगद के वृक्ष के चारो तरफ रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद लें। वृक्ष की सात बार परिक्रमा करना चाहिए। हाथ में काले चने लेकर वट वृक्ष सावित्री व्रत की कथा सुनें। कथा सुनने के उपरांत ब्राह्मण को दान देना न भूलें। दान में आप वस्त्र, चने और दक्षिणा जरूर दें। अगले दिन व्रत का पारण करते समय पहले बरगद के वृक्ष का कोपल खाएं इसके बाद ही उपवास समाप्त करें।
वट सावित्री व्रत का क्या है महत्व
वट सावित्री व्रत करने से महिलाएं सदा सुहागवती होती हैं। उनके पति की उम्र दीर्घायु होती है। पूर्णिमा व्रत को सावित्री से जोड़कर देखा गया है। पौराणिक कथाओं में सावित्री का श्रेष्ठ स्थान है। मान्यता है कि सती सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमलोक जाकर यमराज से वापस लेकर आईं थी। तभी से महिलाएं इस व्रत को पूरी श्रद्धाऔर भक्ति के साथ इस व्रत को धारण करती हैं। बरगद के वृक्ष की पूजा अर्चना करते समय सुख समृद्धि की कामना करती हैं।
 क्यों होती है वट वृक्ष की पूजा
हिन्दू धर्म के अनुसार वट वृक्ष को पूजनीय माना गया है। शास्त्रों की बात करें तो बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास माना गया है। यही कारण है कि स्त्रियां बरगद के पेड़ की आराधना करती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं।
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