शिक्षामित्र अब सरकार पर वादा खिलाफी करने का आरोप लगा रहे हैं, साथ ही समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार जल्द अध्यादेश लाकर उनकी समस्या का निस्तारण करे। शिक्षा मित्रों का कहना है कि हजारों को लोगों का कैरियर चौपट हो रहा है। वह स्कूलों में पढ़ा रहे थे, अब आंदोलन को मजबूर हैं। सरकार चाहती ही नहीं कि सबकुछ शांति से हो। सरकार की नाकामियों की वजह से ये गतिरोध पैदा हो रहा है।
अवध क्षेत्र के जिलों में शिक्षामित्रों ने गुरुवार को बीएसए कार्यालय पर प्रदर्शन किया और मांगें न पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी भी दी।
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फैजाबाद में शिक्षामित्र सुबह से ही स्कूल छोड़कर बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय परिसर में जमा हो गए। आंदोलन से 88 विद्यालयों में शिक्षण कार्य बाधित रहा तो 13 विद्यालयों में पूरे दिन पढ़ाई नहीं हो सकी। गोंडा में शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया।
सीतापुर में शिक्षामित्रों ने बीएसए कार्यालय पर बेमियादी धरना दिया। बाराबंकी में शिक्षामित्रों ने बीएसए कार्यालय में तालाबंदी की। दोपहर बाद लखनऊ-फैजाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग को आधे घंटे तक जाम रखा। रायबरेली में विकास भवन परिसर के बाहर व अमेठी में भी बीएसए कार्यालय पर प्रदर्शन जारी रहा। अन्य जिलों में भी यही स्थिति रही।
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अपर मुख्य सचिव का कहना था कि ऐसे अध्यादेश के बारे में फैसला मुख्यमंत्री ही ले सकते हैं। शिक्षक के लिए टीजीटी की अनिवार्यता से छूट दिलाने के लिए वह केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री और राष्ट्रीय अध्यापक परिषद को पत्र लिखेंगे। किसी भी निर्णय पर पहुंचने में आठ से दस दिन का समय लगेगा।
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