महाभारत में महात्मा विदुर ने महाराज धृतराष्ट्र को महाभारत में हुए युद्ध का जीवंत प्रसारण सुनाया था और तभी से महाभारत में विदुर का स्थान अहम हो गया। महात्मा विदुर धर्म के अनुयाई थे, धर्म को पालन करते थे। और वह हमेशा ही धर्म की रक्षा के लिए आगे रहे। महात्मा विदुर ने कुछ नीतियां बनाई जिनका आज अगर व्यक्ति पालन करता है तो कभी भी वह निराश नहीं होगा और ना ही जीवन में कभी दुखी होगा।
महात्मा बुद्ध ने धृतराष्ट्र महात्मा विदुर ने धृतराष्ट्र को बताया किस शीघ्र ही कौरव और पांडव के बीच में युद्ध होने वाला है और यही युद्ध इतिहास में महाभारत युद्ध के नाम से विख्यात होगा। यह धर्म का युद्ध और नीति का युद्ध है। उसके साथी उन्होंने यह भी बताया था धर्म के प्रचार के लिए पांडव आगे आएंगे ।
महात्मा विदुर ने धृतराष्ट्र से कहा था कि जीवन में अगर व्यक्ति तीन चीजों पर अंकुश लगा ले तो कभी भी वह दुखी नहीं रह सकता।
विदुर की कही हुई को तीन बातें कौन सी हैं जिन्हें हमेशा याद रखना चाहिए।
विदुर ने तीन बातें बताई थी जिनको कभी भी अपने जीवन में हावी नहीं होने देना चाहिए और उनसे जितनी जल्दी हो सके अपने आप को अलग कर लें यही मनुष्य के हित के लिए सही है।
काम – महात्मा विदुर ने कामों को काबू में रखने की हिदायत दी। आपने कहा था अपनी नीति नहीं कि अगर व्यक्ति काम में फस जाता है तो कभी भी सुखी नहीं रह पाता बल्कि वह हमेशा कामुकता किसी विचार अपने मस्तिष्क में लाता है जिससे उसका मस्तिष्क दूषित हो जाता है और वह किसी अन्य काम में मन नहीं लगा पाता जिससे कि वह पतन की ओर अग्रसर हो जाता है। मनुष्य को कभी कामुकता के बस में नहीं होना चाहिए कामुक व्यक्ति कभी भी ना तो सही दिशा में चलता है और ना ही इसके साथ आने वाले व्यक्तियों को सही दिशा में जाने देता है।
क्रोध – महात्मा विदुर ने क्रोध को सबसे बड़ा दुश्मन बताया है। उन्होंने कहा है कि क्रोधी मनुष्य कभी भी सही निर्णय नहीं ले सकता क्योंकि क्रोध के वशीभूत होकर मनुष्य अपनी सोचने और समझने की क्षमता को खो देता है जिसके परिणाम स्वरूप गलत निर्णय लेकर वह अपने आप को मुसीबत में डाल देता है। क्रोधी मनुष्य रिश्तो को तोड़ने में जरा सा भी समय नहीं लगाता और क्रोध के वशीभूत होकर उसे इस बात का भान नहीं रहता कि वह क्या कर रहा है अपितु क्रोधाग्नि बुझ जाने के बाद उसे इस बात का आभास होता है कि उसने जो निर्णय लिया था वह गलत है देश के लिए अपने क्रोध को नियंत्रण में रखना चाहिए।
लोभ – मनुष्य को कभी लोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि लो भी मनुष्य किसी के पास आधे की याद किसी का सुख देखकर सुखी नहीं रह सकता बल्कि उसे उस सुख को पाने की लालसा रहती है और उसके साथी वह अन हित करने में भी नहीं कतराते। जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए यह कहावत आपने जरूर सुनी होगी ठीक यही कहावत लोभी मनुष्यों में सही बैठती है। लालच सबसे बड़ी बुरी बला है और इससे बचे। इसलिए लोग कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि लोग आप को आगे बढ़ाने के बजाय आपको पीछे बढ़ा देता है और आपको गर्क में लेकर जाता है।