चैत्र नवरात्रि बस शुरू होने वाली है। मार्च के बाद अप्रैल माह में नवरात्रि शुरू हो जाएगी। इसी दिन से ही अप्रैल माह में हिंदू धर्म का नया वर्ष भी शुरू हो रहा है। पंचांग की मानें तो चैत्र नवरात्रि में ही विनायक चतुर्थी भी पड़ेगी। वैसे तो हर माह चतुर्थी का योग पड़ता है लेकिन चैत्र नवरात्रि के दौरान जो चतुर्थी पड़ती है उसे विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस बार यह खास संयोग में पड़ रही है। इसमें पूजा का विधान है। आइए जानते हैं इस बारे में।
चार अप्रैल को पड़ेगी विनायक चतुर्थी
वैसे तो हर माह में दो चतुर्थी हिंदू कैलेंडर के हिसाब से पड़ती है। इनमें एक चतुर्थी कृष्ण पक्ष में पड़ती है जिसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और दूसरी चतुर्थी शुक्ल पक्ष में पड़ती है जिसे विनायक चतुर्थी कही जाती है। चैत्र माह में जो विनायक चतुर्थी पड़ेगी वह चार अप्रैल को है। यह काफी खास बताई जा रही है। संयोग अच्छा होने से इस दिन पूजा करने का खास महत्व है। हालांकि यह व्रत 5 अप्रैल को होगा।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
इस दिन भगवान गणेश की पूजा का महत्व है। नवरात्रि पड़ने के कारण यह दिन और शुभ है। वैसे तो इसे 4 अप्रैल को मनाया जाएगा लेकिन विनायक चतुर्थी का व्रत 5 अप्रैल को मंगलवार के दिन किया जाएगा। कहा गया है कि चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए, ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता है। पंचांग की मानें तो 4 अप्रैल को दोपहर में करीब दो बजे यानी 1 बजकर 54 मिनट पर चतुर्थी लग जाएगी लेकिन उदया तिथि 5 अप्रैल से लगेगी इसलिए व्रत 5 अप्रैल को रखा जाना है। हालांकि चतुर्थी का समापन मंगलवार को शाम को करीब 3 बजकर 45 मिनट पर हो जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग, के अलावा प्रीति योग और आयुष्मान योग भी बन रहा है। हालांकि पूजा के लिए दोपहर में शुभ मुहूर्त बताया गया है। 5 अप्रैल को सुबह 11:09 से दोपहर 1:39 मिनट तक विनायक चतुर्थी का अच्छा मुहूर्त है।
GB Singh