ज्येष्ठ मास में कई तरह के व्रत और त्योहार पड़ते हैं। उनमें से एक है भगवान गणपति को समर्पित विनायक चतुर्थी का व्रत। यह वैसे तो हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है लेकिन ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले गणेशजी को समर्पित विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। इसे ज्येष्ठ मास में पड़ने के कारण ज्येष्ठ चतुर्थी भी कहते हैं। यह इस बार तीन जून को यानी शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। कैसे करें इस व्रत में भगवान गणेश को प्रसन्न, आइए जानते हैं।
शुभ मुहूर्त में करें पूजा
विनायक चतुर्थी का व्रत शुभ मुहूर्त में करना काफी अच्छा होगा। यह विनायक चतुर्थी व्रत करने से जहां घर में खुशहाली आती है वहीं संकटों से भी मुक्ति मिलती है। भगवान गणेश विघ्नहर्ता भी हैं ऐसे में उनकी पूजा करने से सारे विघ्न और कष्ट दूर होते हैं। विनायक चतुर्थी का व्रत वैसे तो दो जून को ही रात में चतुर्थी तिथि लगने के कारण शुरू हो जाएगा लेकिन हिंदू धर्म में उदया तिथि का मान है इसलिए व्रत तीन जून को सुबह से शुरू होगा। यह तीन जून को रात में ढाई बजे के बाद समाप्त होगा। सबसे अच्छा समय पूजा का सुबह 10 बजकर 56 मिनट से दोपहर में डेढ़ बजे तक है।
कैसे करें भगवान की पूजा
भगवान गणेश की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना होगा और संकल्प करना होगा। इसके बाद वस्त्र धारण कर मंदिर में लाल या फिर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा या फिर तस्वीर को लगाएं। इससे पहले उसे गंगाजल को छिड़कें। इसके बाद भगवान को वस्त्र पहनाएं और उनको तिलक में चंदन या कुमकुम लगाएं और गुड़हल के फूल चढ़ाएं। अब उनको मिठाई में मोदक या लड्डू चढ़ाएं। अक्षत और दूर्वा चढ़ाएं। दूर्वा की माला भी पहनाएं। अब धूप जलाएं और दीपक जलाकर आरती करें। भगवान की आरती करें और मंत्र भी पढ़ें। भगवान को मोदक और दूर्वा बहुत प्रिय है, ऐसे में उनको प्रसन्न करने के लिए यह जरूर अर्पित करें।
GB Singh