लखनऊ: एप्पल कम्पनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी हत्या के मामले में एसआईटी ने अपनी जांच पूरी करते हुए रिपोर्ट डीजीपी को सौंप दी है। इस जांच में सिपाही प्रशांत चौधरी को हत्यारोपी बताया है जबकि दूसरे सिपाही संदीप को हत्या के मामले में क्लीन चिट देते हुए मारपीट का आरोप दिखाया गया है। अब इस पूरे मामले में घटना की विवेचना कर रहे इंस्पेक्टर महानगर ने भी चार्जशीट तैयार कर ली है और जल्द उसको कोर्ट में दाखिल किया जायेगा ।
विवेक तिवारी की हत्या के बाद डीजीपी ओपी सिंह ने आईजी रेेंज सुजीत पाण्डेय के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया था। वहीं इस पूरे मामले की विवेचना इंस्पेक्टर महानगर विकास पाण्डेय को दी गयी थी। घटना के अलग ही दिन आरोपी सिपाही प्रशांत चौधरी और संदीप को गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया गया था। जांच में लगी एसआईटी टीम ने घटना को दो बार री कंस्ट्रक्शन किया था।
आरोपी सिपाही को पुलिस कस्टडी रिमाण्ड पर लेकर पूछताछ की गयी। घटना की चश्मदीद गवाह सना से भी कई चक्रबातचीत की गयी थी। मौके से मिले साक्ष्य, सुबूत और फुटेज की फारेंसिक और बैलेस्टिक जांच करायी गयी थी। इसके अलावा कई लोगों से पूछताछ भी की गयी थी। 82 दिन तक चली जांच के बाद अब एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट एडीजी जोन राजीव कृष्णा को दी।
इसके बाद एडीजी ने एसआईटी की रिपोर्ट को डीजीपी को सौप दी। एसआईटी ने अपनी जांच में सिपाही प्रशांत चौधरी को हत्या का मुख्य आरोपी बताया गया है। वहीं घटना के वक्त मौजूद सिपाही संदीप को हत्या के मामले में क्लीन चीट दी गयी और उसको मारपीट का आरोप बताया गया है। अब एसआईटी की इसी जांच रिपोर्ट आधार पर हत्याकाण्ड की विवेचना कर रहे इंस्पेक्टर महानगर विकास पाण्डेय जल्द ही कोर्ट में इस केस की चार्जशीट दाखिल करेंगे।
जांच में यह तथ्य सामने आयी
एसआईटी ने अपनी जांच में सिपाही प्रशांत चौधरी की बतायी गयी थ्योरी को पूरी तरह गलत बताया है। सिपाही प्रशांत का गोली चलाना न तो आत्मरक्षा थी और न ही उससे धोखे से गोली चली थी। जांच में पता चला कि विवेक की गाड़ी से सिपाही प्रशांत और संदीप ने रोका था। सिपाही संदीप सना की तरफ बढ़ा और सिपाही विवेक बाइक पर ही मौजूद रहा। इसके बाद उसने सरकारी पिस्टल से गोली चला दी। सीधे निशाना लेकर विवेक पर गोली चलाना फायरिंग की ट्रेनिंग के खिलाफ माना गया है। विवेक को जिस पिस्टल से गोली मारी गयी थी वह सिपाही प्रशांत कुमार के नाम पर ही अलॉट थी। जांच में सामने आया है कि प्रशांत को मालूम था कि गोली चलाने का अंजाम क्या हो सकता है। यह भी साफ हुआ कि विवेक तिवारी कार भगाने की कोशिश भी करता तो प्रशांत की जान को कोई खतरा नहीं था। ऐसे में प्रशांत का गोली चलाने कहीं से सही नहीं था।
खड़ी नहीं चल रही थी विवेक की गाड़ी
आरोपी प्रशांत चौधरी ने अपने बयान में कहा था कि विवेक की गाड़ी सूनसान जगह पर सड़क किनारे खड़ी थी। इसलिए वह लोग जांच करने गाड़ी के पास गए थे। परए एसआईटी की जांच में प्रशांत का यह बयान झूठ साबित हुआ। जांच टीम ने पाया कि विवेक की गाड़ी धीमी गति से चल रही थी और सामने से आये सिपाहियों ने आगे बाइक लगाकर उन्हें रोका था। गोली लगने के बाद विवेक ने गाड़ी भगाई जो कि मलेशेमऊ मजार के पास अंडरपास के पिलर से टकरा कर रुक गयी थी। टक्कर होने पर गाड़ी के दोनों एयरबैग खुल गए थे जो कि सीट बेल्ट लगी होने पर ही खुलते हैं। इसके अलावा सीट बेल्ट पर खून के निशान भी मिले। लिहाजा एसआईटी ने माना कि गाड़ी चल रही थी।
इंस्पेक्टर और सीओ ने बरती लापरवाही
विवेक तिवारी हत्याकाण्ड में छानबीन कर रही एसआईटी को अपनी जांच में पूर्व इंस्पेक्टर गोमतीनगर देवी प्रसाद तिवारी और पूर्व सीओ गोमतीनगर चक्रेश मिश्र की भी भूमिका सही नहीं मिली है। एसआईटी ने अपनी जांच में इन दोनों पुलिस अधिकारियों पर पूरे मामले में लापरवाही बरतने का जिक्र करते हुए विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है। अब दोनों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी यह डीजीपी ओपी सिंह तय करेंगे।