कारोबारी का नाम एक पत्रिका में सुपर रिच कारोबारियों की सूची में शामिल किया गया था। पत्रिका के मुताबिक कारोबारी का कारोबारी करीब 1000 करोड़ रुपये का बताया गया था।
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कोर्ट ने कहा कि कारोबारी की कंपनी को 500 फोरच्यून कंपनियों में शुमार किया गया जिसकी संपत्ति 921 करोड़ रुपये बताई गई थी। इससे साफ है कि वह देश के अमीर कारोबारी परिवार से है और अपने पिता का इकलौता बेटा है। इसका फायदा उसकी पत्नी को देने से इंकार नहीं किया जा सकता।
महिला ने अपनी अर्जी में कहा उसके पति ने 2008 में घर से निकाल दिया था। इसके बाद महिला ने गुजाराभत्ते के लिये हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी। मामले की सुनवाई के दौरान पति ने जनवरी 2011 में तलाक की अर्जी दायर की थी।
पीड़िता ने इसके बाद चार अगस्त 2011 को जिला अदालत में गुजाराभत्ता की अर्जी दायर की थी। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस अर्जी पर सुनवाई के बाद हर माह सवा लाख रुपये गुजाराभत्त के तौर पर देने का निर्देश आठ फरवरी 2013 को पति को दिया था।
हाईकोर्ट ने उसकी अर्जी पर सुनवाई के बाद पांच मार्च 2013 को 75 हजार रुपये गुजाराभत्ता देने का निर्देश महिला के पति को दिया था। हाईकोर्ट व निचली अदालत के फैसलों को ऊपर की अदालत में चुनौती दी गई थी जो सुप्रीम कोर्ट तक गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुये मामलों को वापस जिला अदालत भेज दिया था। इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में दायर अर्जी वापस ले ली थी।