नई दिल्ली: पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी व पछुआ हवाओं के चलने से बुंदेलखंड समेत सेंट्रल यूपी के सभी जिलों में बुधवार को सुबह से ही मौसम का मिजाज बिगड़ा रहा। कड़ाके की ठंड से लोग पूरे दिन कांपते रहे। कहीं- कहीं बूंदाबांदी से मौसम और बेरहम हो गया। कंपकंपाती ठंड से सभी बेहाल रहे। अधिकतम व न्यूनतम तापमान में भी भारी गिरावट दर्ज की गयी।
मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हवा का दबाव कम होने के कारण अभी दो दिन मौसम ऐसा ही रहेगा। कृषि विभाग का कहना है कि यदि तीन-चार दिन तक धूप न निकली और बूंदाबांदी होती रही तो आलू पर झुलसा और परपरा रोग की संभावनाएं बढ़ेंगी। कन्नौज जिले में रूक-रूक कर हुई बूंदाबांदी के कारण फसलों पर कोई असर नहीं पड़ा है। वहीं उन्नाव में मंगलवार रात अभी तक की सबसे सर्द रात रही। पारे में गिरावट आने से लोगों को ठंड से जूझना पड़ा। दिन में चली बर्फीली हवाओं ने गलन में खासा इजाफा कर दिया।
राहगीरों ने जहां भी आग जलते देखी वहीं पर रुककर हाथ पैर सेंके और खुद को गरमाहट दी। बुधवार सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे। पूरे दिन सूर्यदेव बादलों की ओट से लुकाछिपी करते रहे। इससे तेज धूप न निकलने से लोगों को ठंड बढऩे का अहसास हुआ। इसी बीच बर्फीली हवाओं ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दीं। हवाओं ने गलन में इजाफा कर दिया। दिन में भी लोग खुद को पूरी तरह से गर्म कपड़ों से ढककर ही बाहर निकले।
साथ ही जिसको जहां भी आग जलते दिखी वहीं पर रुककर खुद को गर्म करने से न रोक सके। जानकारों की मानें तो पहाड़ी इलाकों में जमकर बर्फबारी हो रही है। इसका असर यहां दिख रहा है। बर्फबारी के कारण ही यहां का मौसम बदल गया है। अधिकतम और न्यूनतम पारे में गिरावट आ गई है। जानकार अभी और पारा गिरने की बात कह रहे हैं। वहीं बारिश होने की भी संभावना जताई जा रही है। किसान भी बारिश की उम्मीद लगाए हुए हैं। अन्नदाता का कहना है कि एक हल्की बारिश हो जाती है तो गेहूं के लिए वरदान हो जाएगी।
मौसम विभाग के अनुसार तीन सालों बाद दिन का तापमान 22 डिग्री पहुंचा है। पश्चिमी हवाओं के चलने से उत्तर प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में मौसम परिवर्तन देखा गया है। करीब पांच किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली।हवा की रफ्तार शुरू में धीमी थी धीरे-धीरे इसमें बढ़ोत्तरी हुई। इस सीजन का अभी तक का सबसे ठंडा दिन रहा। कानपुर देहात में 3 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है।
राजस्थान में भले ही इन दिनों राजनीतिक सरगर्मी तेज है लेकिन वहां से चलने वाली चक्रवाती हवाएं उत्तर प्रदेश के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में ठंड लेकर आई हैं। इसका असर पंजाब, हरियाणा दिल्ली से होता हुआ बुंदेलखंड, कानपुर, इलाहाबाद तक है। मौसम विभाग के अनुसार एक दिन पहले शाम से बादलों का बनना शुरू हो गया था। धीरे-धीरे यह घने होते गए।
इस बीच हवा में नमी कम होने से धुंध भी तेज हो गई। जिससे प्रदूषण की मात्रा में भी इजाफा हुआ है। संभावना है कि यह स्थिति अगले तीन दिनों तक रह सकती है। दिसंबर के मौसम में पिछले दो वर्षों में बारिश ना के बराबर हुई थी। चार साल पहले 2015 में दो दिसंबर को जमकर बरसात हुई थी जिसकी मात्रा 25.8 मिमी रही। आम तौर पर ठंड जब भी तेज होती है उससे पहले बारिश जरूर होती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।