भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से एक बार फिर रेपो रेट बढ़ाए गए हैं। यह हाल ही में बढ़ाए गए रेपो रेट के बाद दूसरी बार कदम उठाया गया है। इससे पहले कुछ ही हफ्तों पहले रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई थी। बताया जा रहा है कि रेपो रेट बढ़ाने से सबसे ज्यादा असर आम आदमी पर पड़ेगा। लोन लेना महंगा होगा और जो अभी ईएमआई दे रहे हैं उनको भी इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके अलावा सहकारी बैंक और ग्रामीण सहकारी बैंक में भी आवास ऋण की सीमा में संधोधन किया गया है। आइए जानते हैं कि इन सब का क्या असर होने वाला है।
रेपो रेट का असर
भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने कुछ समय पहले ही रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी। अब फिर से 0.50 आधार अंक की बढ़ोतरी की है। यह आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में फैसला लया गया है। इससे अब रेपो रेट 4.9 फीसद हो गया है। आपको बता दें कि जैसे ही आरबीआई की ओर से रेपो रेट में बढ़ोतरी की जाती है तो कई बैंक अपनी ब्याज दर बढ़ा देते हैं, क्योंकि बैंक आरबीआई से इसी दर पर कर्ज लेते हैं और फिर बैंकों को अपने ग्राहकों को कर्ज देने के लिए ब्याज की रकम बढ़ानी होती है। इससे होम, वाहन और पर्सनल लोन महंगे हो जाएंगे।
बैंकों के आवास ऋण पर असर
आरबीआई की ओर से प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक और ग्रामीण सहकारी बैंकों में भी आवास कर्ज की सीमा में कुछ बदलाव किया है। जो ग्रामीण सहकारी बैंक होते हैं वो राज्य और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में आते हैं। जो बदलाव किया गया है उसके अनुसार अब शहरी सहकारी बैंक की पर्सनल आवास लोन सीमा 30 लाख से बढ़कर 60 लाख रुपए और 70 से 1.40 करोड़ रुपए हो गई है। साथ ही 100 करोड़ से कम की नेटवर्थ वाले ग्रामीण सहकारी बैंक में पर्सनल आवास लोन सीमा 20 लाख से 50 लाख और 30 लाख से 75 लाख की गई है। हालांकि रेपो रेट में बढ़ोतरी जमीन कारोबार के लिए सही नहीं माना जाता। आगे इसमें और प्रभाव पड़ेगा। लेकिन आवास लोन सस्ता होना अच्छा बताया जा रहा है।
GB Singh