कोरोना काल के दौरान लोग उसकी दवा ढूंढ़ने में व्यस्त थे। जहां से भी लोगों को उम्मीद की एक किरण नजर आती लोगों की भीड़ उस तरफ की ओर दौड़ पड़ती थी। उस समय बीमार लोगों के लिए पैरासिटामाल व अन्य साल्ट के साथ मौजदू दवा डोलो 650 का भी काफी नाम हुआ था। लोगों ने इसको घर में रखना शुरू कर दिया और कोरोना के लक्षण आने पर इसका इस्तेमाल किया। लेकिन अब यह दवा कंपनी मुसीबत में पड़ चुकी है। क्या कारण है, आइए जानते हैं।
कमाई के मामले में फंसी कंपनी
कोरोना के दौरान ज्यादातर दवा की सप्लाई हो रही थी लेकिन दवा के उपयोग को लकेर लोगों में शंका थी। कोरोना के दौरान अन्य दवा कंपनियों की दवा जिनका साल्ट भी डोलो दवा की तरह था उनकी दवा की सप्लाई में ज्यादा अंतर नहीं आ रहा था लेकिन डोलो की सप्लाई अच्छी थी। हालांकि इसमें दूसरी दवाओं की कीमत का भी मामला था जो डोलो से थोड़े महंगे थे इसलिए लोगों ने डोलो ही ज्यादा खरीदा। डोलो 650 के ज्यादा बिक्री से यह कंपनी आयकर विभाग के निशाने में आ गई। बताया गया कि कंपनी ने चिकित्सा पेशेवर को 1000 करोड़ के मुफ्त के गिफ्ट दिए हैं। यह छापेमारी नौ राज्य में 36 परिसर में की गई। विभाग ने 1.20 करोड़ की अघोषित नकदी और 1.40 करोड़ रुपए का सोना व हीरा जब्त किया है।
क्या है मामला
दरअसल, जब कोरोना चरम पर था तो लोग डोलो खरीद रहे थे। मामला यहां फंसा कि आखिर डोलो इतनी क्यों लिखी जा रही है, जबकि यह भी अन्य बुखार व साधारण फ्लू के लक्षण वाली दवा की तरह ही है। बताया जा रहा है कि कंपनी की ओर से काफी मुफ्त के उपहार दवा लिखने वाले चिकित्सा पेशेवर को बांटे गए हैं, जिससे कंपनी की दवा खूब बिकी। कुछ सबूत भी विभाग को मिले हैं जिससे पता चलता है कि यह अनैतिक प्रथा के माध्यम से काम किया गया और दवा ब्रांड को बढ़ावा दिया गया। मामले में अभी जांच चल रही है।
GB Singh