WhatsApp की टक्कर वाले मैसेजिंग ऐप Signal को इन दिनों भारत में काफी पॉप्युलैरिटी मिल रही है। नई प्राइवेसी पॉलिसी के आने के बाद से ही लोग WhatsApp को छोड़कर Signal ऐप ज्वाइन कर रहे हैं। हालांकि Signal ऐप के इस्तेमाल से पहले जान लें कि आखिर WhatsApp कितना अलग है। बता दें कि Signal कैलिफोर्निया बेस्ड ऐप है, जिसे नॉन प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन चलाता है। हाल ही में Tesla के सीईओ एलन मस्क ने WhatsApp की जगह Signal ऐप को ज्वाइन किया है।
Signal मैसेंजर क्या है?
Signal मैसेंजर ऐप को Moxie Marlinspike और Brian Acton ने साल 2018 में विकसित किया था। Brian Acton, WhatsApp के भी सह-संस्थापक रह चुके हैं। हालांकि उन्होंने फेसबुक ओन्ड कंपनी को तीन साल पहले ही छोड़ दिया था। Signal फाउंडेशन ने यूजर्स को एंक्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पेश किया गया था। यह एक ओपन सोर्स एप्लीकेशन है और वास्तव में WhatsApp मौजूदा वक्त में Signal के एंड टू एंड एंक्रिप्शन प्रोटोकॉल को फॉलो किया है।
WhatsApp से Signal कितना है अलग
Signal से भेजे जाने वाले ऐप एंक्रिप्टेड होते हैं। मतलब इस प्लेटफॉर्म पर प्राइवेट मैसेज और मीडियो को एक्सेस नहीं किया जा सकेगा। साथ ही इन्हें किसी सर्वर पर स्टोर नहीं किया जा सकेगा। जबकि WhatsApp एंड टू एंड एंक्रिप्शन उपलब्ध कराया जाता है। जिससे प्राइवेट इंफॉर्मेशन जैसे IP एड्रेस, ग्रुप डिटेल और स्टेट्स को एक्सेस किया जा सकता है।
यूजर प्राइवेसी पॉलिसी
WhatsApp से अलग Signal केवल फोन नंबर को एक्सेस करता है। साथ ही मैसेज को एन्क्रिप्ट करने के अलावा, सिग्नल सर्विस मेटा डेटा को छिपाती है। साथ ही कंपनी ने एक नया फीचर ब्लर फेस को जोड़ा है। Signal एंड्राइड के साथ ही iOS प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगा। साथ ही इसे डेस्कटॉप वर्जन में भी एक्सेस किया जा सकेगा।