कुंडली में कब लगता है राजयोग? जानें कितने तरह के होते हैं योग व दोष

ज्योतिष शास्‍त्र के मुताबिक किसी जातक की कुंडली उसके पूरे जीवन का लेखा-जोखा होती है। इसमें उसके जीवन में आने वाले सुख-दुख, शिक्षा, संतान, शादी, कष्‍ट, और संपत्‍ति और तरक्‍की हर जानकारी दर्ज होती है। कुंडली में ग्रहों की स्‍थिति बताती है कि उस जातक का स्‍वभाव, रंग रूप और बोलचाल कैसी होगी और उसके संबंध व शत्रु किस प्रकार के होंगे।

इसके अलावा कुंडली में प्रमुख ग्रह अच्‍छी स्‍थिति में हैं, तो वह व्‍यक्‍ति तरक्‍की के शिखर पर पहुंचता है। वहीं, ग्रहों की खराब या कमजोर स्‍थिति उसे दर-दर की ठोकर खाने को भी मजबूर कर सकती है।

कुंडली में शुभ ग्रहों के योग  के आधार पर ही राजयोग का आंकलन किया जाता है। जिस व्‍यक्‍ति की कुंडली के किसी भी भाव में चंद्रमा और मंगल का योग बन रहा है तो उसके जीवन में धन की कमी नहीं होती है, मान-सम्मान मिलता है, सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है। हालांकि कुंडली में राजयोग का फल दूसरे शुभ और अशुभ ग्रहों के फलों के आधार पर तय किया जाता है। दरअसल इनकी वजह से राजयोग का प्रभाव कम या ज्यादा हो सकता है।

ज्‍योतिष शस्‍त्र के जानकारों की मानें तो हर किसी की कुंडली में कुछ योग और दोष जरूर होते हैं। इनके आधार पर उसके भविष्‍य का आकलन किया जाता है। ऐसा ही एक योग है राजयोग। राजयोग 32 प्रकार के होते हैं। जिस भी जातक की कुंडली में ग्रहों की स्‍थिति राजयोग बनाती है, वह धन, संपत्‍ति, ऐश्‍वर्य, पद और संतान से परिपूर्ण होता है। जानें इसके बारे में

मेष लग्‍न के जातकों के लिए बृहस्‍पति ग्रह राजयोग बनाता है।

वृषभ और तुला लग्‍न वालों के लिए शनि ग्रह राजयोग का कारक बनता है।

कर्क और सिंह लग्‍न के लोगों के लिए मंगल राजयोग का कारक बनता है।

इसी तरह मिथुन लग्‍न वालों के लिए शुक्र अच्‍छा फल प्रदान करता है।

वृश्‍चिक लग्‍न के जातकों  के लिए चंद्रमा राजयोग का कारक बनता है।

धनु लग्‍न वालों के लिए मंगल ग्रह राजयोग का कारक होता है।

मीन लग्‍न के जातकों के लिए चंद्रमा और मंगल शुभ योग बनाते हैं।

आइए जानें कुंडली में कितने तरह के होते हैं दोष :

किसी भी इनसान की कुंडली में दोष का निर्माण ग्रहों की कमजोर स्‍थिति की वजह से होता है। कुंडली में दोष के लिए व्‍यक्‍ति के पिछले और इस जन्‍म के कर्म भी जिम्‍मेदार होते हैं। किसी भी जातक की कुंडली में विभिन्‍न तरह के दोष का समय कम समय के लिए या बहुत लंबे समय के लिए हो सकता है। मांग्‍लिक दोष के शिकार व्‍यक्‍ति की शादी में बाधा आती है, तो शनि दोष से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति जीवन में लंबे समय तक परेशानी झेलता है। किसी भी शख्‍स की कुंडली में पितृ दोष, कालसर्प दोष, मंगल दोष, मांग्लिक दोष समेत कुल 11 तरह के दोष होते हैं। इनके अलग-अलग लक्षण और उपाय होते हैं।

अपराजिता श्रीवास्‍तव

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