आखिर क्या है तर्क
लोग घर खरीदने के लिए काफी मेहनत करते हैं। उनका मानना है कि अपना घर-अपना होता है। जबकि कुछ किराए के मकान में ही रहना पसंद करते हैं। ऐसे में यह समझना मुश्किल है। दिल्ली एनसीआर में किराए के मकान कोरोना काल के बाद अचानक से खाली हुए हैं। ऐसे में दाम घटने लगे हैं। वहीं होम लोन के लिए ईएमआई बढ़ रही है। कुछ लोगों को मानना है कि जहां आप पैदा हुए वहां आपका घर होना जरूरी है। जबकि जहां आप काम या व्यापार के सिलसिले में हैं वहां के लिए घर किराए का ही सही है। लेकिन संपत्ति का बाजार हमेशा एक जैसा नहीं रहता। यह घटता और बढ़ता है। ऐसे में इसको समझना जरूरी है।
निवेश करें पैसा या कर्ज भरें
जानकार बताते हैं कि अगर कोई घर 30 लाख रुपए का है तो आप बैंक से कर्ज लेंगे और डाउन पेमेंट और कुछ नकद देने के बाद आप आठ फीसद की दर से करीब 20 से 15 हजार रुपए लोन चुकाएंगे। फिर घर लेंगे तो उसके तमाम खर्च होंगे। लेकिन 20 साल बाद आपका यह घर 30 लाख से ज्यादा से ज्यादा 80 लाख तक पहुंचा तो भी आपको ज्यादा फायदा नहीं होने वाला। क्योंकि आपको घर भी मेनटेन कराना है, तभी यह 80 लाख में बिकेगा। लेकिन यही 15 हजार रुपए आप किराए के मकान में खर्च करते हैं और होम लोन न लेकर उसी पैसे को कहीं निवेश करते हैं तो अच्छे रिटर्न पर आप एक से दो करोड़ रुपए तक पा सकते हैं। 20 साल में आपके पास अच्छी रकम जमा होगी। क्योंकि इन 20 साल में आपका पैसा बढ़ेगा। हालांकि किराए के मकान में भी हर साल बढ़ोतरी होगी लेकिन वह आप बदल सकते हैं।
GB Singh