आज हम सभी अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं. लेकिन कहीं न कहीं हम लड़कियों को झुकना ही पड़ता है. कहीं आज भी हमारी मर्ज़ी नहीं चलती. लड़कों को जितनी आज़ादी और छूट मिली होती है लड़कियों को उतनी फ्रीडम नहीं मिल पाती है. चाहें कितना भी घरवाले सपोर्ट कर लें. लेकिन एक ओर ये ख्याल जरूर आ जाता है की समाज क्या कहेगा. एक लड़की की पढाई से लेकर शादी और उसके बाद की लाइफ भी कई चुनौतियों से गुज़रती है. जहां हर किसी लड़की की लाइफ में ये क्वेश्चन आ ही जाता है की मैं लड़का क्यों नहीं हूं. 
चलिए जानते हैं कि लाइफ में किस तरह की सिचुएशन आने पर लड़कियों के मन में ऐसे विचार आते हैं.
घूमने नहीं दिया जाता
कई बार लड़कियां घर से बाहर अपने दोस्तों के साथ घूमने जाना चाहती हैं लेकिन उन्हें घर से इजाज़त नहीं मिलती जबकि दूसरी ओर लड़कों को परमिशन की जरूरत ही नहीं पड़ती. इस वजह से लड़कियां कई बार सोचती हैं कि काश वह लड़का होती तो उन्हें घूमने की आजादी तो मिल जाती.
देना पड़ता है समय का हिसाब
अगर किसी तरह घरवाले लड़की को घर से निकलने की परमिशन दे भी दें तब भी उन पर शाम को जल्दी घर लौटने की पाबंदी लगा दी जाती है. ऐसे पलों पर लड़कियां सोचती हैं कि अगर वो लड़का होती तो ऐसी पाबंदियां उन पर नही लगाई जाती.
अपनी बात कहने का मौका न देना
कई अवसरों पर लड़कियों को उनकी बात रखने का मौका नहीं मिलता. यदि वह अपनी बात बोलने की कोशिश भी करें तो उनको बोलने नहीं दिया जाता है. ऐसे ही मौकों पर अकसर लड़कियों के मन में ख्याल आता है कि काश वो भी लड़का होती तो उनके साथ ऐसा कभी नहीं होता.
बनती हैं घर की इज्जत
लड़कियों को कई बार समझाया जाता है कि तुम घर की इज्जत हो इसलिए जो भी फैसला लो सोच समझ कर लो. तुम्हारे फैसले से घर की इज्जत भी खराब हो सकती है.
पीरियड्स का दर्द
पीरियड्स के दिनों में लड़कियों को काफी दर्द और चिड़चिड़ाहट से गुज़रना पड़ता है जिसके कारण उन्हें कई बार बिना वजह के गुस्सा भी आ जाता है और फिर उनके मन में लड़का होने का ख्याल आता है.
हर लड़की के मन में लाइफ में कभी न कभी लड़का होने का ख्याल जरूर आता है और ऐसा हो भी क्यों न हम पुरुष प्रधान समाज में जो रहते हैं.
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