ओलंपिक में बीते दिनों भारत के लिए एक ब्रॉन्ज मेडल पक्का हो चुका है। वहीं वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू द्वारा एक सिल्वर मेडल पहले ही भारत ने जीत लिया है। ऐसे में भारत एक और पदक की देहलीज पर है। दरअसल एथलेटिक्स (डिस्कस थ्रो) में भारत का पहला पदक कनफर्म हो सकता है। बता दें कि कमलप्रीत कौर ने डिस्कस थ्रो में भारत के लिए पदक की उम्मीद जगाई है। तो चलिए जानते हैं कि वे कौन हैं।
कौन हैं कमलप्रीत कौर
कमलप्रीत कौर पंजाब की रहने वाली भारतीय एथलीट हैं। वो कहते हैं न कि पढ़ोगे–लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे–कूदोगे तो बनोगे खराब। इस कहावत को कमलप्रीत ने अपने एथलेटिक्स के दम पर करारा जवाब दिया है। दरअसल कमलप्रीत का बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में कोई शौक नहीं रहा है। वे हमेशा से ही खेलकूद में ही आगे रही हैं। ऐसे में उनके खेल के कोच ने उन्हें पढ़ाई की बजाय खेलने की ही सलाह दी थी।
ये कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं
बता दें कि कमलप्रीत के कोच उन्हें खुद एक प्रतियोगिता में ले गए ते जो राज्य स्तर की थी। इस प्रतियोगिता में वे चौथे स्थान पर रहीं। 2019 में कमलप्रीत कौर ने फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था। इसमें उन्होंने 60.25 मीटर तक डिस्कस थ्रो करके गोल्ड मेडल जीता था। कमलप्रीत ने 24वें फेडरेशन कप में 65 मीटर तक डिस्कस थ्रो किया था। बता दें कि वे ये कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई थीं।
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अपने ही आदर्श खिलाड़ी का तोड़ा ये रिकाॅर्ड
कमलप्रीत कौर ने फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया था। उन्होंने इसमें 65.06 मीटर तक चक्का फेंका और टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया। उन्होंने कृष्णा पूनिया का बनाया एक रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। कमलप्रीत ने कृष्णा पूनिया द्वारा 64.76 मीटर तक डिस्कस फेंकने के रिकॉर्ड को चकनाचूर कर दिया। खास बात तो ये है वे डिस्कस थ्रो की खिलाड़ी कृष्णा पूनिया को अपना आदर्श भी मानती हैं। वहीं कमलप्रीत कौर इस वक्त कोच बलजीत सिंह से डिस्कस थ्रो की कोचिंग ले रही हैं। क्वालिफिकेशन में दूसरे नंबर पर रहने वाली कमलप्रीत यदि अपने कारनामे को दोहराने में सफल रहती हैं तो भारत को एथलेटिक्स में उसका पहला पदक मिलने से कोई रोक नहीं सकता है।
ऋषभ वर्मा