सूर्य को जल अर्पण करते समय ध्यान रखें ये बातें, बनेंगे काम

     प्रकृति पूजा का भारत में काफी विशेष स्थान है। यहां जल, धरती, पेड़, सूर्य और चंद्रमा की भी आराधना होती है। संपूर्ण विश्व को ऊर्जा और प्रकाश देने वाले सूर्य को भारत में देव का दर्जा प्राप्त है। प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सूर्य को जल अर्पण करते हुए और उनको सूर्य नमस्कार करते हुए बताया गया है। सूर्य की आराधना से न केवल स्वास्थ्य लाभ होता है बल्कि परिवार में सुख और समृद्धि आती है। बिगड़े काम बनते हैं और काफी समस्याओं से निजात मिलती है। सूर्य को सुबह जल अर्पण करना शास्त्रों में काफी अच्छा माना गया है। लेकिन इसमें नियमों का ध्यान भी रखना अति आवश्यक है। बरेली के आचार्य मुकेश मिश्रा बता रहे हैं कि कैसे करें सूर्य की आराधना। 
ब्रह्ममुहूर्त में ही जल अर्पण करें

आचार्य बताते हैं कि सूर्य को हमेशा ब्रह्ममुहूर्त यानी उगते समय ही जल अर्पण करना चाहिए। शहरों में अमूमन देखा जाता है कि लोग सुबह आराम से उठकर किसी भी समय जल अर्पण कर देते हैं, यह गलत है। सुबह सूर्य की पहली किरण फूटते ही उसको अर्घ्य देना अति फलदायी होता है। आठ बजे या दिन में दस या 12 बजे अर्घ्य देना ठीक नहीं होता है। सूर्य की पहली किरण न केवल ऊर्जा प्रदान करती है बल्कि यह सुखद अहसास भी कराती है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस समय की किरण काफी बीमारियों को हरने वाली होती है।

इन मंत्रों का करें जाप

आचार्य मिश्रा बताते हैं कि सूर्य को अर्घ्य देते समय अगर आप मंत्र पढ़ते हैं तो यह काफी अच्छा होता है और सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं। इसके लिए आप ओम आदित्य नम: या फिर ओम घृणि सूर्याय नम: या फिर ओम सूर्याय नम: या फिर सूर्य के सात नाम भी जल अर्पण करते समय ले सकते हैं।

इन बातों का भी रखें ध्यान

आचार्य बताते हैं कि सूर्य को स्नान करने के बाद ही अर्घ्य दें बिना नहाए जल अर्पण नहीं करना चाहिए। अगर जल चढ़ाते समय पानी की छींटे आपके पैर पर आ रहे हैं तो इससे कोई समस्या नहीं है। सूर्य को पिता का कारक भी मानते हैं इसलिए सिर्फ पूजा करने से आपका भला नहीं होगा बल्कि अपने माता-पिता और अभिभावक व बड़े लोगों के प्रति आदर व सम्मान का भाव भी आपको अपने अंदर लाना होगा। सूर्य देव इससे बेहद प्रसन्न होते हैं।

जल में यह मिलाकर अर्पण करें, होगा लाभ

आचार्य कहते हैं कि आप चाहें तो जल में नीला रंग मिला सकते हैं इससे पढ़ाई में आपका मन लगेगा। इसके अलावा बिगड़े काम या रूके हुए काम हो जाएं और पितृ शांति के लिए अक्षत भी जल में मिला कर और उसे चढ़ा सकते हैं। रोली या चंदन जल में मिलाकर अर्पण करने से स्वास्थ्य लाभ  और हल्दी मिलाकर चढ़ाने से विवाह जल्दी होता है। परीक्षा या साक्षात्कार में सफल होने के लिए लाल गुड़हल का फूल जल में डालकर चढ़ाए। जल को चढ़ाने के बाद आप उसे अपने माथे पर लगा सकते हैं यह काफी ऊर्जा देने वाला होता है।

-GB Singh
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