बीजिंग: चीन लगातार ताइवान पर अपना हक जताता रहा है और इसपर बार तो उसके राष्ट्रपति ने खुलेआम द्वीप को कब्जाने का ऐलान कर दिया है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को कहा कि ताइवान के साथ “पुनर्मिलन” होना चाहिए और इसे साकार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह ताइवान के लोगों के बुनियादी हितों के अनुरूप है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष शी ने 1911 की क्रांति की 110वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक बैठक को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, “जो लोग अपनी विरासत को भूल जाते हैं, अपनी मातृभूमि के साथ विश्वासघात करते हैं और देश को विभाजित करने की कोशिश करते हैं, लोगों द्वारा उनका तिरस्कार किया जाएगा और इतिहास द्वारा उनकी निंदा की जाएगी।”
राष्ट्रपति ने कहा कि ताइवान का प्रश्न, जो विशुद्ध रूप से चीन के लिए एक आंतरिक मामला है, चीनी राष्ट्र की कमजोरी और अराजकता से उत्पन्न हुआ है। इसे हल किया जाएगा, क्योंकि राष्ट्रीय कायाकल्प एक वास्तविकता बन जाएगा।
शी ने कहा, “यह चीनी इतिहास की सामान्य प्रवृत्ति से निर्धारित होता है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी चीनी लोगों की सामान्य इच्छा है। ताइवान के सवाल में कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीकों से राष्ट्रीय एकता ताइवान में हमवतन सहित समग्र रूप से चीनी राष्ट्र के हितों की सेवा करती है। उन्होंने कहा, “ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर हमवतन को इतिहास के दाईं ओर खड़ा होना चाहिए और चीन के पूर्ण एकीकरण व चीनी राष्ट्र के कायाकल्प को प्राप्त करने के लिए हाथ मिलाना चाहिए।”
1911 की क्रांति, जिसे शिन्हाई क्रांति के रूप में भी जाना जाता है, उसने चीन में 2,000 से अधिक वर्षों के शाही शासन को समाप्त कर दिया और चीनी लोगों के बीच लोकतंत्र व समानता के विचारों को फैलाया।
शी ने अपनी टिप्पणी में कहा कि 1911 की क्रांति ने आधुनिक चीन में हुए गहन सामाजिक परिवर्तनों का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि 1911 की क्रांति का स्मरणोत्सव “चीनी राष्ट्र के बेटे और बेटियों को देश व विदेश में चीनी राष्ट्र के कायाकल्प को साकार करने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करेगा।”
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