आषाढ़ मास को हिंदू धर्म के प्रमुख महीनों में से एक माना जाता है। इस माह में कुछ महत्वपूण व्रत और त्योहार आते हैं। इन्हीं में से एक है आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाने वाली योगिनी एकादशी। इस साल योगिनी एकादशी का व्रत 5 जुलाई शनिवार के दिन किया जाएगा। हिंदू धर्म में इस व्रत को कल्पतरु वृक्ष के समान फल देने वाला बताया गया है। सच्ची श्रद्धा और आस्था से इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और शुभ फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा में पीले रंग का प्रयोग शुभ माना जाता है, जैसे पीले फूल, फल, वस्त्र आदि। भगवान विष्णु को भी पीला रंग प्रिय लगता है।
कब लग रही है एकादशी तिथि
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 जुलाई की शाम को 7.55 बजे से लग रही है। यह तिथि 5 जुलाई को रात 10.30 बजे तक रहेगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि से व्रत और पर्व माने जाते हैं। इसलिए योगिनी एकादशी का व्रत 5 जुलाई को किया जाएगा। इस व्रत का पारण 6 जुलाई रविवार के दिन सुबह 5.29 बजे से 8.16 बजे के बीच किया जाना शुभ रहेगा।
योगिनी एकादशी के दिन लग रहा है अमृत काल
योगिनी एकादिशी के दिन प्रात: 4.14 बजे से 5.02 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त और इसके बाद 6.47 से 8.35 बजे के बीच अमृत काल लग रहा है। इस दौरान कोई भी शुभ काम करना अच्छा माना जाता है। इसके बाद 12.04 बजे से 12.58 बजे के बीच अभिजीत मुहूर्त रहेगा। आज के दिन इन दोनों शुभ काल में पूजा विशेष फलदायी होगी। अमृत मुहूर्त या जीव मुहूर्त को ब्रह्म मुहूर्त जितना ही श्रेष्ठ माना गया है। इसमें किए गए शुभ कार्य विशेष फलदायी होते हैं।
एकादशी व्रत पूजा विधि
इस दिन सुबह नित्यकर्म और स्नान करने के बाद किसी साफ जगह पर मिट्टी का कलश रखें। इसके ऊपर मिट्टी के दिये में चावल भरकर रखें। दीया रखने से पहले कलश में अक्षत, पानी और सिक्का जरूर डालें। इस दीये के ऊपर विष्णु भगवान की प्रतिमा या तस्वीर रखें। विष्णु जी को रोरी का टीका लगाएं और अक्षत चढ़ाएं। इसके बाद उनके सामने दीपक जलाएं और फूल व तुलसी दल अर्पित करें। उन्हें फल व भोग चढ़ाकर एकादशी की कथा कहें और आरती करें। एकादशी की पूजा के दौरान ‘ऊं नमो नारायणाय’, या ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्रों का 108 बार जाप करना चाहिए।
योगिनी एकादशी का महत्व
माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पूरी श्रद्धा और आस्था से इस व्रत को करने से व्यक्ति पूर्वजन्म के पापों से मुक्त हो जाता है और उसे पण्य फल की प्राप्त होती है।
अपराजिता श्रीवास्तव