हिन्दुस्तानियों के लिए ऑमलेट इतनी जानी-पहचानी चीज है, जबकि यह बाहर से आया हुआ विदेशी व्यंजन है। इससे भी दिलचस्प बात यह है, जो लोग भारत में अक्सर ऑमलेट खाते-पचाते हैं, उन्हें जब विदेश में कहीं खालिस फ्रांसीसी नमूने का, जो उसका मूलरूप है ऑमलेट परोसा जाता है, तो उन्हें पहचानने में दिक्कत होती है। फ्रांसीसी ऑमलेट बाहर से सुनहरा पक जाने के बाद भी भीतर से न केवल नरम रहता है, बल्कि उसमें अंडा पिघलकर मुंह में अपना स्वाद घोलता है। जाहिर है इस ऑमलेट में कटी मिर्च, टमाटर, अदरक, धनिया, प्याज अन्य मसाले नहीं होते। हां, कभी-कभार बीच में जंगली कुकुरमुत्ते या नायाब पनीर चखने को मिल जाते हैं।
ऑमलेट बनाने को विशेष कला समझा जाता है और परंपरा के अनुसार इसके लिए जो फ्राइंग पैन इस्तेमाल किया जाता है, उसे पहले तैयार किया जाता है। उसे धोया नहीं जाता, सिर्फ पोछा जाता है और इस बर्तन का प्रयोग सिर्फ ऑमलेट बनाने के लिए ही किया जाता है।