लखनऊ और दिल्ली के दरबार में कानपुर की आवाज उठाने वाले सियासी पैरोकार भले ही न खड़े होते हों, लेकिन इस शहर से किस्मत कनेक्शन लगभग सभी दल जोड़े बैठे हैं। कांग्रेस ने हाल ही में कार्यकर्ता सम्मेलन की शुरुआत की और अब सपा मुखिया अखिलेश यादव भी चुनावी अभियान की दस्तक इसी शहर से देने जा रहे हैं। अपनी पूर्ण बहुमत की प्रदेश सत्ता हाथ से खिसकने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में भाजपा से बदला लेना चाहते हैं।
भाजपा का विजय रथ रोकने का एलान
कोशिश इस हद तक पहुंच गई है कि कभी धुर विरोधी रही बसपा से हाथ मिलाकर भाजपा का विजय रथ रोकने का एलान कर चुके हैं। इसके लिए उन्होंने सक्रियता भी बढ़ा दी है। अब चुनावी वर्ष नजदीक है, लिहाजा जनता के बीच अभियानों का सिलसिला भी शुरू होने जा रहा है। इसके लिए सबसे पहले सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सैंपल के रूप में कुछ-कुछ लैपटॉप बांटकर युवाओं के जेहन में पुरानी यादें ताजा करना चाहते हैं। लैपटॉप वितरण तो सभी शहरों में होगा, लेकिन कानपुर, बाराबंकी और सीतापुर में खुद अखिलेश अपने हाथों से लैपटॉप बांटेंगे। सबसे पहला आयोजन कानपुर में ही होगा।
कानपुर का बड़ा राजनीतिक महत्व
कानपुर को यह खास तवज्जो क्यों? इस सवाल पर विधायक अमिताभ बाजपेयी कहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही नहीं, सभी दल कानपुर को लकी मानते हैं। इस शहर का राजनीतिक महत्व भी बहुत है, इसलिए बड़े अभियान और आंदोलन यहां से शुरू होते हैं। अखिलेश यादव ने 2009 में साइकिल यात्रा भी यहीं से शुरू की। लखनऊ से रथ कानपुर आया और फिर इस ऐतिहासिक नगरी से वह साइकिल यात्रा पर निकले थे। वहीं, महानगर अध्यक्ष अब्दुल मुईन खां ने बताया कि अभी तारीख तय नहीं हुई है। जैसे ही संदेश मिलेगा, हम तैयारियां शुरू कर देंगे।
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