उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी में जारी विवाद अपने चरम पर पहुंच चुका है। टीवी रिपोर्ट के अनुसार आज की बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव सहित चार मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया है जिसकी चिट्ठी राज्यपाल के भेज दी गई है
]
र्खास्त किए गए अन्य मंत्रियों के नाम हैं- नारद राय, शादाब फातिमा और ओम प्रकाश सिंह। इसके साथ ही एक बार मुलायम सिंह यादव के कुनबे में महाभारत खतरनाक मोड़ पर पहुंचती नजर आ रही है।
अपको बता दें कि अखिलेश यादव ने आज सुबह 11 बजे विधायकों और समर्थकों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में शिवपाल समर्थक विधायकों-नेताओं को नहीं बुलाया गया। बैठक में उदयवीर सिंह, सुनील साजन, आनंद भदौरिया, संजय लाठर भी शामिल थे। पार्टी से निकाले गए सभी नेता बैठक में शामिलहुए।
उदयवीर को कल ही पार्टी से बर्खास्त किया गया था। उन्होंने ही मुलायम सिंह को चिट्ठी लिखी थी जिसमें अखिलेश की सौतेली मां साधना गुप्ता का जिक्र था।
आपको बता दें कि सपा में जारी अंतर्कलह को लेकर अगले 48 घंटें को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसी बीच राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने सपा कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखकर अखिलेश विरोधियों पर हमला बोला है। इस चिट्ठी में रामगोपाल यादव ने लिखा है कि सुलह की कोशिश अखिलेश की यात्रा रोकने की साजिश है और कार्यकर्ता अखिलेश के साथ जुटें। रामगोपाल ने कहा कि अखिलेश विरोधी विधानसभा नहीं पहुंच पाएंगे। साथ ही लिखा है कि जहां अखिलेश हैं, जीत वहीं है।
रामगोपाल की इस चिट्ठी के खिलाफ शिकायत लेकर पार्टी के कुछ विधायक सपा मुखिया मुलायम सिंह से मिलने उनके आवास पहुंचे है। बता दें कि रामगोपाल यादव ने इस पत्र में आगे लिखा है कि हम चाहते हैं कि राज्य में समाजवादियों की सरकार बने जबकि पार्टी का एक गुट चाहता हैं कि हर हाल में अखिलेश चुनाव हारें। हमारी सोच सकारात्मक है, जबकि उनकी सोच नकारात्मक है। गौर हो कि रामगोपाल ने इससे पहले मुलायम सिंह को भी एक चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में लिखा है कि अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे नहीं करना अखिलेश को कमजोर करना होगा। ऐसा करना पार्टी के लिए बड़ा नुकसानदायक साबित हो सकता है।
ये भी पढ़े:>
इससे पहले शनिवार को सपा के वरिष्ठ नेताओं की ओर से मुलायम-अखिलेश के बीच मतभेदाें को दूर करने की काेशिशों का ज्यादा असर नहीं दिखा। उधर, अखिलेश के करीबी मानें जाने वाले सपा विधायक उदयवीर सिंह के पार्टी से निष्कासन ने विवाद को और सतह पर ला दिया है। माना जाता है कि मुख्यमंत्री अखिलेश के करीबियों को हटाने के बाद उनके स्थान पर नये लोगों की नियुक्ति से साफ है कि अब इन नेताअों की वापसी की राह और कठिन हो गयी है।