लखनऊ : नाइशिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में गर्भ धारण को लेकर काफी दिक्कत आ सकती है। ऐसी महिलाओं में गर्भवती होने और स्वस्थ्य शिशु को जन्म देने की परेशान देखने को आती है। यह बात हाल में ही की गयी रिसर्च बता रही है।
हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च की गई जिसमें ये बात सामने आई है कि ऐसी महिलाएं जिनके ऑफिस के काम का समय अस्थिर होता है उनकी प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही ऐसी महिलाएं जिनके काम में ज्यादा शारीरिक श्रम की जरुरत पड़ती है उन्हें भी बच्चा पैदा करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
रिसर्च के दौरान पाया गया कि ऐसा महिलाओं के हॉर्मोन्स में बदलाव की वजह से होता है। ये बदलाव सोने-जागने के अनियमित समय और ज्यादा शारीरिक श्रम की वजह से होता है। शोधकर्ताओं ने इस स्टडी में 473 महिलाओं को शामिल किया जिसने उन्होंने 35 साल की महिलाओं को औसत माना।
शोधकर्ताओं ने पाया जो महिलाएं नियमित तौर पर नाइट शिफ्ट करती हैं उनमें 24 प्रतिशत तक अंडे कम परिपक्व रह गए। ये अंडे विकसित होने में सक्षम नहीं थे। जबकि जो महिलाएं अधिक शारीरिक श्रम वाली नौकरी कर रही थीं उनमें करीब 14 प्रतिशत कम परिपक्व अंडे पाए गए।
दरअसल जन्म के समय से ही लड़कियों में करोड़ों अपरिपक्व अंडे मौजूद होते हैं जो उनके किशोरावस्था पर पहुंचने के बाद हॉरमोन्स की वजह से परिपक्व हो जाते हैं। लेकिन अगर ये हॉर्मोन्स असंतुलित हो जाएं तो ये अंडे परिपक्व नहीं हो पाते और बाद में विकसित होकर बच्चे बनने की हालत में नहीं होते। नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन की वजह से बच्चा पैदा करने की संभावना कम हो जाती है।