यह लगातार दूसरा वर्ष है जब दिल्ली में नवंबर महीने में ही हवा का आपातकाल घोषित किया गया है। राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बुधवार को 486 दर्ज किया गया। वहीं फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा और गुड़गांव का एक्यूआई आपात श्रेणी में दर्ज किया गया।
सीपीसीबी के सचिव सदस्य सुधाकर ने बताया कि दिल्ली में अभी भी उत्तर-पश्चिमी हवा का दबाव बना हुआ है जिसके साथ ही धुएं भरी हवा भी आ रही है। यहां कम से कम अगले 24 घंटे तक आपात स्थिति बनी रहेगी।
शनिवार की दोपहर से हालात में कुछ सुधार की उम्मीद है। लेकिन सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक अगले दो दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता की हालत और खराब हो जाएगी।
लोगों के जीने का अधिकार क्यों छीन रहे, ये खिलवाड़ क्यों
जस्टिस स्वतंत्र मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रशासन से कहा, ‘आपने दिल्ली की हालत बिगाड़ दी है। आपको जो पहले करना चाहिए था, वह अब कर रहे हैं। अब हम तय करेंगे कि आपको क्या करना चाहिए। आप अस्पतालों में जाकर देखिए कि लोगों को किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं। आप लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं।’
– दस साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर पाबंदी लगाएं।
– रेत, सीमेंट या बजरी जैसी निर्माण सामग्री वाले बाहरी या राजधानी के ट्रकों का परिचालन अगले आदेश तक बंद हो।
– दिल्ली-एनसीआर में कचरा जलाने पर रोक सुनिश्चित करें और खुले में रखी निर्माण सामग्री की पड़ताल कर उचित कार्रवाई करें।
– इन आदेशों के पालन के लिए दिल्ली और एनसीआर की सरकारें दो सप्ताह के अंदर एक्शन प्लान सौंपें और आसपास की हवा गुणवत्ता की रिपोर्ट दें।
– 14 नवंबर को एनजीटी विचार करेगा कि निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए या नहीं।
पर्यावरण मंत्रालय ने भी बनाई समिति
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव सीके मिश्रा ने बृहस्पतिवार को बैठक की। इस बैठक में दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण को तत्काल नियंत्रित करने के लिए एक समिति बनाई गई है। समिति में विज्ञान और तकनीकी विभाग के सचिव, बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग के सचिव, नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव, दिल्ली के मुख्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के अधिकारी को इसमें शामिल किया गया है।