आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति में अगले 6 से 12 महीने में तेजी की संभावना है और इसके कारण रिजर्व बैंक नीतिगत दर को यथावत बनाये रख सकता है. यह दावा नोमुरा की एक रिपोर्ट में किया गया है.
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जापान की वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार मौद्रिक नीति समिति एमपीसी की बैठक के ब्योरे के अनुसार मुद्रास्फीति के नीचे रहने तथा वृद्धि की चिंता को देखते हुए इस महीने की शुरूआत में नीतिगत दर में कटौती की. पर आने वाले समय में आरबीआई यथास्थिति बरकरार रख सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एमपीसी के अधिकतर सदस्यों ने अगस्त में नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में वोट दिया. इसका कारण मुद्रास्फीति में गिरावट तथा वृद्धि के कमजोर होने के संकेत थे. हालांकि आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति में तेजी की आशंका को देखते हुए तटस्थ नीतिगत रुख अपनाया गया.
नोमुरा के अनुसार जुलाई में मुद्रास्फीति के आंकड़े से इस बात की पुष्टि हुई है कि जून में इसमें गिरावट आयी और आने वाले समय में सब्जियों के दाम में तेजी के कारण इसमें वृद्धि की आशंका है. साथ ही जीएसटी के कारण मूल मुद्रास्फीति में थोड़ी अधिक गति से तेजी आयी. रिपोर्ट में कहा गया है, एमपीसी के अधिकतर सदस्यों ने आवास भत्ता एचआरए में वृद्धि, कृषि रिण माफी से पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव, 2019 में होने वाले चुनाव का समय करीब आना तथा मुद्रास्फीति अनुमान में हाल में वृद्धि, सब्जियों के दाम में तेजी एवं जीएसटी के कारण महंगाई दर में तेजी को रेखांकित किया.
उल्लेखनीय है कि जुलाई में थोक मुद्रास्फीति तेजी से बढ़कर 1.88 फीसदी हो गयी जो जून 2017 में 0.90 फीसदी थी. इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों खासकर सब्जियों के दाम में तेजी रही. वहीं खुदरा मुद्रास्फीति भी आलोच्य महीने में बढ़कर 2.36 फीसदी पहुंच गयी. रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति पर ताजा आंकड़ा तथा एमपीसी सदस्यों के रुख को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई नीतिगत दर में यथास्थिति बनाये रख सकता है.
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