टीम इंडिया के तेज गेंदबाज एस श्रीसंत ने स्पष्ट कर दिया है कि वो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से भीख नहीं मांग रहे हैं बल्कि अपनी जिंदगी वापस चाहते हैं। दो वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य रहे श्रीसंत ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में जिंदगी का सबसे मुश्किल समय बिताया और अभी भी वो इंसाफ के लिए संघर्ष कर रहे हैं। श्रीसंत अभी बीसीसीआई के खिलाफ अपने ऊपर लगे आजीवन प्रतिबंध को हटाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। टीम इंडिया में वापसी के लिए युवराज खुद कर रहे है मोटिवेट, मां ने खोला ये बड़ा राज…
हालांकि, श्रीसंत पर बीसीसीआई द्वारा लगाए गए बैन को पिछले महीने केरल हाई कोर्ट ने हटा दिया है। मगर बोर्ड ने आगे जाकर अपील करने का फैसला किया है। श्रीसंत का सपना है कि वो दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आगामी दौरे के लिए टीम इंडिया का हिस्सा बने, लेकिन क्रिकेट में उनकी वापसी अभी नजर नहीं आ रही है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई की अनुशासनात्मक समिति ने 13 सितंबर 2013 को श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगाया था।
एक इंटरव्यू में श्रीसंत ने अपने पसंदीदा खेल से बैन करने और योजनाबद्ध तरीके से गिरफ्तारी के बारे में भावनाएं जाहिर की। उन्होंने साथ ही केरल हाई कोर्ट के फैसले पर खुशी व्यक्त की और स्वीकार किया कि बैन हटने से वो काफी संतुष्ट महसूस कर रहे हैं।
श्रीसंत ने अपनी गिरफ्तारी का भी खुलासा किया और साथ ही याद किया कि उनके लिए वो दिन कितने खतरनाक थे। श्रीसंत ने कहा, ‘मुझे सुबह तीन बजे गिरफ्तार किया गया। उस समय मुंबई इंडियन्स और राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ियों के साथ मैं आईपीएल के मैच के बाद की पार्टी से आ रहा था। मैं क्लब से लौटा तो अपने दोस्त के घर पर जाने लगा, जहां लगा कि मुझे किडनैप (अपहरण) कर लिया गया है। मुझे लगा कि ये मजाक होगा, लेकिन वहां से मुझे सुरक्षित घर ले जाया गया जहां जमानत भी नहीं मिली। मुझे वहां सुबह 7 या साढ़े सात बजे तक रखा गया। इसके बाद मजिस्ट्रेट के घर ले जाया गया। अगले दिन शनिवार और रविवार थे, जिसकी वजह से मैं जमानत के लिए अर्जी भी नहीं दे सकता था। ऐसा लगा कि ये पूरा योजनाबद्ध था।’
आजीवन प्रतिबंध का परिणाम ये रहा कि श्रीसंत किसी क्रिकेट लीग या फिर अभ्यास सत्र में हिस्सा नहीं ले सकते थे, जिसमें बीसीसीआई या राज्य क्रिकेट एसोसिएशन का स्टेक हो।