घाटी में मंत्री-विधायकों, पूर्व मंत्रियों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा पर आतंकी खतरा मंडराने लगा है। लगातार आतंकी हमलों से दहशत में आए जनप्रतिनिधि अब ग्रामीण इलाकों में जाने से कतराने लगे हैं। खासकर दक्षिणी कश्मीर में। कैबिनेट मंत्रियों को जेड श्रेणी सुरक्षा प्राप्त है। कुछ पर हमले की आशंका को भांपते हुए उनकी सुरक्षा बढ़ाए जाने पर विचार किया जा रहा है। रियासत में कुल 1785 लोगों को सुरक्षा प्राप्त है।
सुरक्षा एजेंसियों के पास इनपुट हैं कि घाटी में लगातार सुरक्षा बलों पर हमले के साथ ही आतंकी अब मंत्री-विधायकों, पूर्व मंत्रियों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों को निशाना बना सकते हैं। नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से उनके काफिले पर हमला किया जा सकता है।
इसके लिए जीएसटी के मुद्दे पर 17 जून से शुरू हो रहे विधानसभा के विशेष सत्र को संवेदनशील माना जा रहा है। आशंका जताई गई है कि इस दौरान आतंकी अपनी मौजूदगी दिखाने की कोशिश कर सकते हैं। सख्ती से बौखलाए आतंकी सुरक्षा बलों को चुनौती देने के लिए हमले को अंजाम दे सकते हैं।
इनपुट्स के बाद सक्रिय हुईं सुरक्षा एजेंसियां
इसके लिए श्रीनगर में भी आतंकियों तथा ओवर ग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) की सक्रियता बढ़ने के इनपुट सुरक्षा एजेंसियों के पास हैं। इसी के चलते पिछले दिनों श्रीनगर के लाल चौक इलाके में सुरक्षा एजेंसियों ने घेराबंदी तथा तलाशी अभियान (कासो) चलाया था।
हालांकि, कई मंत्रियों के आवास पर हथियार छीनने के उद्देश्य से आतंकी पहले भी हमला कर चुके हैं। दक्षिणी कश्मीर में पीडीपी के पुलवामा जिलाध्यक्ष तथा शोपियां में नेकां कार्यकर्ता की हत्या की जा चुकी है।
सूत्रों ने बताया कि दक्षिणी कश्मीर के शोपियां, अनंतनाग, पुलवामा तथा कुलगाम से जुड़े मंत्री तथा विधायकों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने अपने घर जाना लगभग छोड़ दिया है। अब वे अपने परिवार के सदस्यों के साथ श्रीनगर अथवा जम्मू में ही रहने को प्राथमिकता दे रहे हैं। अपने विधानसभा क्षेत्र में जाने पर उन्हें स्थानीय लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।