कांग्रेस को 24 अकबर रोड पर स्थित पार्टी मुख्यालय को छोड़कर दूसरे बंगलों के लिए किराए में किसी तरह की कोई छूट नहीं मिलेगी। इस समय पार्टी के पास तीन बंगले हैं और दिल्ली के लुटियंस मार्ग पर एक फ्लैट भी है। यह संख्या किसी पार्टी के पास मौजूद सबसे ज्यादा बंगले की है।
सूत्र ने बताया कि जब इस मामले को आवासीय कैबिनेट समिति (सीसीए) के पास भेजा गया तो कैबिनेट सचिव ने सवाल उठाए कि कैसे किसी पार्टी को मामूली किराया देने की इजाजत दी जा सकती है जोकि अनुमति से अधिक अवधि तक आवासों पर कब्जा जमाए हुए है। इससे सरकारी खजाने को नुकसान होगा।
शहरी विकास मंत्रालय ने इस मसले पर अपना आखिरी फैसला देने से पहले कानून मंत्रालय से सुझाव मांगा है। मामले को सीसीए के पास हस्तांतरित कर दिया गया है जोकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सरकारी आवासों के आवंटन, विस्तार और किराए में राहत देने के लिए एक निर्णायक समिति है।
अब यह सीसीए पर निर्भर करता है कि वह कांग्रेस की बात को मानकर उससे जून 2013 से अब तक सामान्य किराया या फिर लाइसेंस शुल्क की क्षति दर के हिसाब से किराया वसूले। क्षति दर किसी भी सरकारी प्रोपर्टी का किराया बाजार के मुताबिक उसकी लोकेशन के हिसाब से लिया जाता है। यह पार्टियों द्वारा चुकाए जाने वाली रियायती दरों से बहुत ज्यादा होती है।
सूत्रों का कहना कि 24 अकबर रोड पर स्थित पार्टी के मुख्यालय को किराए पर छूट दी जा सकती है क्योंकि सत्ताधारी पार्टी को पता है कि विपक्षी पार्टी को अपने नए दफ्तर का निर्माण कर रही है। साल 2010 में कांग्रेस को दिल्ली में अपना दफ्तर खोलने के लिए जमीन का आवंटन किया गया था। जमीन आवंटन के तीन साल के अंदर पार्टी को अपने निर्माण कार्य को खत्म करना था।