वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिया है कि राजस्व की स्थिति बेहतर होने के बाद माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत स्लैब में कटौती की जा सकती है.
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जेटली ने नेशनल अकेडमी ऑफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नारकोटिक्स (एनएसीआईएन) के कार्यक्रम में कहा, ‘हमारे पास इसमें दिन के हिसाब से सुधार करने की गुंजाइश है. साथ ही अनुपालन का बोझ कम किया जा सकता है, खासकर छोटे करदाताओं के मामले में.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे पास सुधार की गुंजाइश है. एक बार हम राजस्व की दृष्टि से तटस्थ बनने के बाद बड़े सुधारों के बारे में सोचेंगे, मसलन कम स्लैब, लेकिन इसके लिए हमें राजस्व की दृष्टि से तटस्थ स्थिति हासिल करनी होगी.’ फिलहाल जीएसटी 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार कर स्लैब हैं.
जेटली ने कहा कि अप्रत्यक्ष कर का बोझ समाज के सभी वर्गों द्वारा उठाया जाता है. सरकार का हमेशा से यह प्रयास है कि अधिक उपभोग वाले जिंसों पर कर दरों को नीचे लाया जाए. जेटली ने कहा कि प्रत्यक्ष कर का भुगतान समाज के प्रभावी वर्ग द्वारा किया जाता है. अप्रत्यक्ष कर का बोझ निश्चित रूप से सभी पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में राजकोषीय नीति के तहत हमेशा यह प्रयास किया जाता है कि ऐसे जिंस जिनका उपभोग आम लोगों द्वारा किया जाता है, तो उन पर अन्य की तुलना में कर की दर कम होनी चाहिए.
विकास के लिए करें कर भुगतान
जेटली ने कहा कि भारत परंपरागत रूप से कर अनुपालन न करने वाला समाज है. उन्होंने कहा कि लोगों के पास विकास की मांग करने का अधिकार है, ऐसे में उनकी यह भी जिम्मेदारी बनती है कि वे विकास के लिए जो जरूरी है उसका भुगतान करें.
कराधान कानून में गड़बड़ी नहीं
भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 67वें बैच के अधिकारियों को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि राजस्व कामकाज के संचाल और सभी विकास गतिविधियों की जीवनरेखा है. उन्होंने कहा, ‘जिन पर कर लगाने का मामला नहीं बनता है, कर अधिकारी के रूप में आप उनसे कर की उगाही नहीं कर सकते. आपका काम किसी के मन में भय पैदा करना नहीं, बल्कि सम्मान हासिल करना है.’ उन्होंने कहा, ‘आपको दिखाना होगा कि आप चाहते हैं कि लोग अपने राष्ट्रीय कर्तव्य का अनुपालन उन्होंने बताया कि कराधान कानून में गड़बड़ी जैसी चीज नहीं है. कर अधिकारी का कर्तव्य है कि वह निष्पक्ष और ईमानदार रहे.
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