45 वर्षीय प्रीति पटेल सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी की नेता हैं और पार्टी में उन्हें एक चमकते सितारे के तौर पर देखा जाता रहा है। वो सरकार में कई भूमिकाएं निभा चुकी हैं। जून 2016 में उन्हें इंटरनेशनल डेवलपमेंट मंत्री बनाया गया था। यानी ब्रिटेन की विकासशील देशों को दी जाने वाली आर्थिक मदद का काम वही देख रही थीं।
वो यूरोपीय संघ की आलोचक रही हैं। कंजरवेटिव सरकार में उनकी भूमिका अहम थी। उन्होंने समलैंगिक शादियों के खिलाफ मतदान किया था और धूम्रपान पर प्रतिबंध के खिलाफ भी अभियान चलाया था। वो इसराइल की एक पुरानी समर्थक रही हैं।
वो साल 2010 में सांसद चुनी गई थीं। ब्रेक्जिट अभियान की प्रखर समर्थक प्रीति पटेल 2014 में ट्रेजरी मंत्री थीं। 2015 के आम चुनावों के बाद वो रोजगार मंत्री बन गई थीं। लंदन में युगांडा से भागकर आए एक गुजराती परिवार में पैदा हुई प्रीति पटेल ने वैटफोर्ड ग्रामर स्कूल फॉर गर्ल्स में शिक्षा ली है।
उन्होंने उच्च शिक्षा कील और एसेक्स यूनिवर्सिटी से हासिल की है। उन्होंने कंजरवेटिव पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में नौकरी भी की है और वो 1995 से 1997 तक सर जेम्स गोल्डस्मिथ के नेतृत्व वाली रेफरेंडम पार्टी की प्रवक्ता रही हैं। रेफरेडम पार्टी ब्रिटेन की यूरोपीय संघ विरोधी पार्टी थी।
बीते सप्ताह बीबीसी ने बताया था कि उन्होंने अगस्त में इसराइल में पारिवारिक छुट्टियों के दौरान इसराइली अधिकारियों और व्यापार जगत के लोगों से गुप्त मुलाकातें की हैं। उन्होंने इसराइल की एक मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता से मुलाकात की और कई संस्थानों के दौरे भी किए जहां अधिकारिक कार्यों पर भी चर्चा हुई।
ये असामान्य था क्योंकि सरकार के मंत्रियों को विदेशों में अपनी गतिविधियों के बारे में सरकार को जानकारी देनी होती है। अपनी यात्रा के बाद प्रीति पटेल ने सुझाव दिया था कि ब्रिटेन के आर्थिक मदद के बजट का कुछ हिस्सा इसराइली सेना के लिए भी जाना चाहिए।
प्रीति पटेल के इस प्रस्ताव को कई अधिकारियों को अनुचित कहा था। कई अन्य देशों की तरह ब्रिटेन ने कभी भी सीरिया के गोलन हाइट्स इलाके पर इसराइल के नियंत्रण को मान्यता नहीं दी है। इसराइल ने 1967 के युद्ध के बाद इस क्षेत्र पर कब्जा किया था।
विदेशी विभाग के एक मंत्री ने उनकी मुलाकातों का बचाव करते हुए कहा था कि इनके असर में ब्रितानी विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। हालांकि विपक्षी लेबर पार्टी ने मांग की थी कि प्रीति पटेल की जांच होनी चाहिए या उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। लेबर पार्टी ने उन पर नियमों के उल्लंघन के आरोप भी लगाए थे।
सोशल मीडिया पर भी प्रीति पटेल को आलोचना का सामना करना पड़ा था। कुछ लोगों ने सवाल किया था कि पारिवारिक छुट्टी पर कोई किसी देश के नेता से क्यों मिलेगा।
प्रीति के लिए परिस्थितियां तब और जटिल हो गईं जब ज्यूइश क्रॉनिकल ने कहा कि सरकार को न्यूयॉर्क में हुई मुलाकात की जानकारी थी और पटेल से कहा गया था कि इसे सार्वजनिक न करें। सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है।
इन नई जानकारियों के बाद प्रधानमंत्री टेरीजा मे पर प्रीति पटेल को पद से हटाने के लिए दबाव बढ़ गया। इन जानकारियों के सामने आने के बाद युगांडा यात्रा पर गईं प्रीति पटेल यात्रा बीच में ही छोड़कर वापस लौट आईं और प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद अपना इस्तीफा सौंप दिया।