पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने के बाद भारत तथा फ्रांस ने शनिवार को जलवायु समझौते पर पेरिस समझौते के सफल क्रियान्वयन की प्रतिबद्धता जताई, साथ ही उन्होंने आतंकवाद से संयुक्त तौर पर मुकाबला करने का भी संकल्प लिया।
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एलिसी पैलेस में फ्रांस के नए राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के साथ वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस वार्ता में मोदी ने कहा, “भारत तथा फ्रांस ने संयुक्त तौर पर पेरिस समझौते के विचार को जन्म दिया था। हम कंधे से कंधा मिलाकर चले और समझौते पर काम किया, जो दुनिया की एक साझा विरासत बन चुकी है। इससे भावी पीढ़ी को लाभ होगा और उन्हें एक नई उम्मीद देगा।”
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उन्होंने कहा, “यह केवल पर्यावरण के संरक्षण का सवाल नहीं है, बल्कि धरती माता को बचाने की हम सबकी जिम्मेदारी है, क्योंकि पर्यावरण संरक्षण सदियों से हमारे लिए विश्वास का एक प्रतीक है। जो भी हमें अपने पूर्वजों से मिला है, हमारे लिए जिम्मेदारी बन गई है कि हम आने वाली पीढ़ी के लिए शुद्ध पानी तथा शुद्ध वायु सुनिश्चित करें।”
इस बात पर गौर करते हुए कि दुनिया एक संकट के दौर से गुजर रही है, मोदी ने कहा कि उन्होंने तथा मैक्रों ने दुनिया को आतंकवाद तथा कट्टरवाद से कैसे बचाएं, इसपर विस्तार से चर्चा की।
इससे पहले, मैक्रों ने कहा कि उन्होंने हाल के वर्षो में कुछ भीषण आतंकवादी हमले देखे हैं और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़े रहेंगे।
जलवायु परिवर्तन पर मोदी ने कहा कि इस संबंध में सीईओ के फोरम को सतत प्रौद्योगिकी पर काम करने का निर्देश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि पेरिस जलवायु समझौते के वक्त एक अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन शुरू किया गया था और वह खुश हैं कि राष्ट्रपति मैक्रों इसके प्रति पूरी तरह समर्पित हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत आने का आमंत्रण स्वीकार करने के लिए मैक्रों का शुक्रिया अदा किया।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध हर क्षेत्र में गहरा है। यह केवल दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक संदर्भ में मददगार है।
मैक्रों ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा का दोहन करने की दिशा में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने के लिए पहल के प्रति फ्रांस भी प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि फ्रांस चाहता है कि शिक्षा के लिए भारत के ज्यादा से ज्यादा छात्र उनके देश आएं और इसी तरह फ्रांस के छात्र भारत जाएं।
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