यह है मामला
मामला चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को हाउसिंग वेलफेयर स्कीम के तहत चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकान उपलब्ध करवाने से जुड़ा है। प्रशासन की ओर से इस स्कीम को आरंभ किया गया था और हाउसिंग बोर्ड को इसका जिम्मा सौंपा गया था। हाउसिंग बोर्ड ने इसके लिए योजना तैयार कर मकानों के ड्रा निकाले थे और चयनित लोगों से रकम भी ले ली थी। इसके बाद मामला लटकता चला गया और इस बीच कर्मचारियों का 57 करोड़ रुपया हाउसिंग बोर्ड के पास ही रहा। हाउसिंग बोर्ड और प्रशासन के बीच की तकरार के बाद यह कह दिया गया था कि इस स्कीम को ही रद्द कर दिया जाए।
ये है परेशानी
चंडीगढ़ प्रशासन ने इस स्कीम के लिए दक्षिणी सेक्टरों में जमीन रिजर्व रखी हुई है। जमीन की बढ़ी कीमत के चलते यह स्कीम चंडीगढ़ प्रशासन और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के बीच ही उलझकर रह गई थी। चंडीगढ़ प्रशासन का कहना है कि हाउसिंग बोर्ड ने इस स्कीम के तहत जमीन लेने के लिए प्रशासन के पास पैसे जमा नहीं करवाए, इसलिए प्रशासन ने जमीन जारी नहीं की। दूसरी तरफ चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि वर्षों पहले यह स्कीम आई थी, उस समय जमीन के रेट 7920 रुपये गज थी जबकि आज के समय चंडीगढ़ में जमीन का रेट 60 हजार रुपये प्रति गज है।
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