दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लगने की वजह से व्यापारियों ने बुधवार से भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद व्यापारियों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जब पटाखे पर रोक लगानी ही थी तो पहले व्यापारियों के लाइसेंस का नवीनीकरण ही क्यों किया? पटाखा दुकानें बंद होने के कारण मंगलवार को दिन भर सदर बाजार स्थित पटाखा मार्केट सुनसान पड़ा रहा। दुकानें बंद थीं और उन पर सरकार के खिलाफ जगह-जगह नारे लिखे पर्चे चस्पा थे। वहीं दुकानदारों ने सदर बाजार में पटाखे जला कर विरोध जताया।
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पटाखा दुकानदार हरजीत छाबड़ा ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने 4 अक्तूबर को 24 पटाखा व्यापारियों के लाइसेंस रिन्यु किए थे, जिसके बाद इन व्यापारियों ने 10 से 20 लाख रुपये तक का सामान दुकानों में एकत्रित कर लिया। चूंकि दिवाली भी नजदीक है, इसलिए व्यापारियों की लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। ऐसे में अचानक से पटाखे पर रोक लगने की वजह से इनका लाखों का नुकसान हुआ है। छाबड़ा ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर अमल नहीं किया तो सभी पटाखा व्यापारी मिलकर सदर बाजार में ही पूरे सामान को आग के हवाले कर देंगे।
दिनभर चलता रहा विरोध प्रदर्शन
सदर बाजार में दिनभर पटाखा व्यापारियों का सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन चलता रहा। सुबह व्यापारियों ने एकत्रित होकर विरोध स्वरूप पटाखे जलाए। वहीं, शाम होते-होते व्यापारियों ने एकजुट होकर बाजार परिसर में सरकार का पुतला भी फूंका। इतना ही नहीं पटाखा दुकानदारों ने सदर बाजार में पटाखे जलाकर अपना विरोध जताया। उनका कहना था कि पटाखे बेच नहीं सकते तो कहां रखें अब उसे जला कर ही स्टॉक खत्म करेंगे।
जामा मस्जिद के पास भी प्रदर्शन
सदर बाजार के अलावा पटाखा बैन होने को लेकर व्यापारियों ने दरियागंज इलाके में जामा मस्जिद के पास भी विरोध प्रदर्शन किया। पटाखा व्यापारी अशोक अग्रवाल बताते हैं कि दिल्ली और एनसीआर में दिवाली के आसपास करीब 250 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। लेकिन सरकार ने एक बार भी व्यापारियों के बारे में नहीं सोचा। वर्ष 2016 में प्रतिबंध लगा तो 20 दिन पहले इसे हटा लिया गया। फिर व्यापारियों को लाइसेंस भी रिन्यु कर दिए। सरकार को इसका हर्जाना देना ही होगा।