नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को चुनौती देती याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि यह समझौता दोनों पड़ोसी देशों के लिए अच्छा साबित हुआ है।
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सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की सदस्यता वाली पीठ ने अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की याचिका को खारिज करते हुए कहा, यह समझौता पिछली आधी सदी से दोनों देशों के लिए अच्छा रहा है।
मालूम हो कि भारत से निकालने वाली सिंधु नदी पाकिस्तान में जाती है। इसके जल बटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच पिछले 50 वर्षों से जल समझौता चला आ रहा है। पंजाब के रास्ते यह नदी पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
इस जल समझौते के तहत पाकिस्तान की ओर जाने वाली पानी के बहाव को न रोके जाने से पंजाब के किसान पानी की कमी महसूस करते हैं। उनका कहना है कि पंजाब की जरूरतों को पूरा करने के बाद बचे हुए जल पर ही पाकिस्तान का हक हो सकता है। दलील थी कि नदी में आने वाली बाढ़ का प्रकोप भी वही सबसे पहले झेलते हैं।
इसी समझौते को रद कराने के लिए कुछ लोगों की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। अधिवक्ता शर्मा ने यह कहते हुए सिधु जल समझौते की संधि को चुनौती दी थी कि इस पर दोनों देशों के नेताओं ने हस्ताक्षर किए थे, राष्ट्रपति ने नहीं। अत: इस समझौते को रद किया जाए।
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