‘डॉन का इंतजार तो 12 मुल्कों की पुलिस कर रही है, मगर डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है’. ये डायलॉग एक हिंदी फिल्म का है. गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद उनकी करीबी हनीप्रीत जब फरार हो गई तो उसे लेकर भी कुछ ऐसी कहानियां गढ़ी जा रही थीं. मगर ‘आजतक’ ने पूरी स्क्रिप्ट ही बदल डाली.Breaking: बीएसएफ कैम्प पर फिदायीन हमला, एक जवान की मौत, तीन घायल!
जो सात सूबों की पुलिस भी नहीं कर पाई. हनीप्रीत को तलाश कर उससे हर उस सवाल का जवाब ले लिया, जो सिर्फ पहेली बने हुए थे.
मगर, कुछ सवाल अब भी बाकी हैं. हनीप्रीत ने इंटरव्यू में कहा है कि बाबा के जेल जाने के बाद वो डिप्रेशन में चली गई थी. उसने बताया कि उन्हें इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि 25 अगस्त को पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत बाबा राम रहीम को रेप का दोषी मान लेगी. उस दिन के बाद से ही हनीप्रीत दुनिया की नजरों से ओझल हो गई थी और वो अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.लेकिन क्या वाकई हनीप्रीत डिप्रेशन का शिकार थी या फिर वो कानूनी शिकंजे से बचने के लिए सही मौके का इंतजार कर रही थी. दरअसल, गुरमीत राम रहीम जैसे ही जेल गया उसके बाद हर दिन नए खुलासे होते रहे. बाबा के काले कारनामों का चिट्ठा दुनिया के सामने आता चला गया. इस दौरान हनीप्रीत अपने ठिकाने बदलती रही. कभी वो अपने भक्त के घर रही, तो कभी भाई की ससुराल का आसरा लिया.
एक तरफ हनीप्रीत पुलिस की पकड़ से दूर रही और दूसरी तरफ पुलिस-प्रशासन सिरसा डेरे से लेकर बाबा के दूसरे ठिकानों पर छापेमारी करता रहा. पंचकूला में हिंसा भड़काने वाले लोगों पर शिकंजा कसता चला गया.
लेकिन जैसे ही ये मामला कुछ शांत हुआ, हनीप्रीत दिल्ली पहुंच गई . 25 सितंबर को हनीप्रीत के दिल्ली में होने का दावा किया गया. वो लाजपत नगर में अपने वकील से मिलने आई और दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की. हालांकि, हाई कोर्ट ने हनीप्रीत की याचिका को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट ने साफ लफ्जों में हनीप्रीत को सरेंडर करने का आदेश दे दिया.
अब जब हनीप्रीत के पास पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है, ऐसे में वो मीडिया के सामने आई. आजतक को दिए इंटरव्यू में भी हनीप्रीत ने हाई कोर्ट में जाने की बात का जिक्र किया.