सुनारिया जेल में दुष्कर्म की सजा काट रहे डेरामुखी पर जेल मैनुअल लागू नहीं होता। जेल प्रशासन की ओर से सजायाफ्ता गुरमीत को विचाराधीन कैदी की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि जेल मैनुअल का उल्लंघन यह कहानी बयां कर रहा है।
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डेरामुखी गुरमीत को जेल परिसर में दो बार कपड़े दिए जाने का का मामला तूल पकड़ रहा है। 25 अगस्त को दो साध्वियों के साथ दुष्कर्म के मामले में सीबीआई की अदालत ने उसे दोषी करार दिया था। जिसके बाद से वह सुनारिया की जेल में बंद है। पहली बार उससे वकील गुरदास ने मुलाकात की थी।
वकील की ओर से उसे तीन जोड़ी कपड़े उपलब्ध कराए गए थे। इसके साथ ही 14 सितंबर को 3.10 बजे उसकी मां ने मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने राम रहीम को कपड़े दिए थे। जेल मैनुअल के हिसाब से सजायाफ्ता कैदी को छह माह तक जेल की वर्दी पहननी होती है। छह माह बाद उसे जेल अधीक्षक की अनुमति के बाद कुर्ते का कपड़ा उपलब्ध कराया जा सकता है। जिसे वह जेल परिसर में ही सिलवा सकता है। पर ऐसा नहीं है।
गुरमीत को जेल में मां से मिलाने के दौरान इसका भी उल्लंघन किया गया है। उसकी मां को 3 बजे के बाद मिलाया गया है। जेल मैनुअल अगर उस पर लागू होता तो उसके मुलाकात और उपलब्ध कराये जाने वाले कपड़ों पर ध्यान दिया गया होता। गौरतलब है कि जेल में बंद रह चुके संत गोपालदास पहले भी यह आरोप लगा चुके हैं कि जेल के भीतर राम रहीम को जेल मैनुअल का उल्लंघन करके रखा गया है। जेल प्रशासन न केवल उसे सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है बल्कि अन्य कैदियों को परेशान किया जा रहा है।
जेल में राम रहीम को सुरक्षा के चलते जेल प्रशासन के हिसाब से रखा गया है। उसे उपलब्ध कराए गए कपड़ों को वह रात में अपने बैरक में पहन सकता है।
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