नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मौत हमेशा से दुनिया के लिए एक रहस्य बनी रही है। मौत की वजह जानने के लिए भारत सरकार ने तीन कमीशन का गठन किया। पहली कमेटी का गठन सन् 1956 में शाह नवाज कमेटी के रूप में हुआ, जबकि दूसरी खोसला कमेटी का गठन 1970 में हुआ।  अमेरिका भारत से रक्षा बढ़ाने की रणनीति, 621.5 अरब डॉलर का रक्षा व्यय विधेयक पारित
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दोनों ही कमेटियों की रिपोर्ट में बताया गया है कि नेता जी की मौत 18 अगस्त 1945 को हावई जहाज क्रैश में हुई। वहीं 1999 में मुखर्जी कमीशन का गठन हुआ, जिसकी रिपोर्ट अन्य दो कमीशनों से अलग थी। मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया कि नेता जी की मौत हवाई जाहज दुर्घटना में नहीं हुई। हालांकि सरकार ने कमीशन की रिपोर्ट खारिज कर दी।
पेरिस के रहने वाली इतिहासकार जीबीपी मोरे ने कहा कि बोस की मौत हवाई जहाज दुर्घटना में नहीं हुई और वह 1947 में जिंदा थे। मोरे ने यह दावा फ्रांस के नेशनल आर्काइव की 11 दिसंबर 1947 के एक दस्तावेज के आधार पर किया है।
मोरे ने बताया कि दस्तावेज में कहीं भी ये नहीं लिखा था कि नेता जी सुभाषचंद्र बोस की मौत ताइवान में हुए एयरक्रैश में हुई। रिपोर्ट में लिखा गया था कि बोस को 1947 के अंत में देखा गया था। इससे साफ होता है कि फ्रेंच सरकार एयरक्रैश में नेता जी की मौत को नहीं मानती थी।
फ्रेंच सिक्रेट सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार 18 अगस्त 1945 को हुई हवाई दुर्घटना में नेता जी की मौत नहीं हुई। बल्कि वह इंडोचाइना से जिंदा गायब हो गए और उसके बाद उन्होंने गुमनामी का जीवन जिया। मोरे ने बताया कि रिपोर्ट हौट कमीस्ट्रेट दी फ्रैंस फॉर इंडोचाइना के लिए लिखी गई थी।
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