
अमेरिका: आतंकी संगठनों में फर्क न करे पाकिस्तान
अखबार की खबर ‘द कॉस्ट ऑफ इंडियाज मैनमेड करंसी क्राइसिस’ में जिक्र किया गया है कि बड़ी संख्या में नोट बंद करने के फैसले की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। दो महीने से ज्यादा वक्त के बाद भी स्थितियां सामान्य नहीं होने और भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर, रियल स्टेट सैक्टर में कैश की किल्लत की वजह से परेशानी खड़ी हो गई है। कारों की बिक्री कम हुई है।
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अखबार का कहना है कि कई भारतीयों ने कहा कि वो कालेधन की लड़ाई में लाइन में खड़े रहने के लिए तैयार हैं लेकिन कैश की किल्लत अभी भी खत्म नहीं हुई तो उनका धैर्य जवाब दे जाएगा। अखबार ने लिखा कि छोटे शहरों में स्थितियां इस दौरान और खराब रहीं।
अखबार का कहना है कि कोई भी देश ऐसा नहीं करता जैसा भारत ने किया। यहां 98 प्रतिशत करेंसी ग्राहकों के लेन-देन में इस्तेमाल होती है। लोग पैसा ट्रांसफर करने के लिए डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन अधिकतर दुकानदारों के पास उसे लेने के लिए सेटअप ही मौजूद नहीं है।
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