प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नॉर्थ ईस्ट दौरे पर हैं. अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पहले के प्रधानमंत्री के पास काम ज्यादा रहता था, तो वे आ नहीं पाते थे. मैं यहां आए बिना रह नहीं पाता.
पीएम मोदी यहां ईटानगर में सिविल सचिवालय कॉम्प्लेक्स की बिल्डिंग, कन्वेंशन हॉल का उद्घाटन करेंगे. रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर दफ्तर का माहौल ठीक रहता है तो उसका कामकाज पर भी असर पड़ता है. एक ही कैंपस में कई सरकारी दफ्तर होने से गांव से आने वाले फरियादियों को सबसे ज्यादा फायदा होता है.
उन्होंने कहा कि जिस अरुणाचल प्रदेश से प्रकाश फैलता है, आने वाले दिनों में यहां ऐसा प्रकाश फैलेगा कि पूरा देश देखेगा.
गुरुवार को त्रिपुरा में दो चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे. पीएम मोदी त्रिपुरा के शांति बाजार और अगरतला में रैलियां करेंगे. मोदी इससे पहले भी सोनामुरा में रैली को संबोधित कर चुके हैं. पीएम मोदी गुरुवार को यहां रोड शो भी करेंगे. ये हिस्सा साउथ त्रिपुरा का है, इससे पहले मोदी ने नॉर्थ त्रिपुरा में रैली को संबोधित किया था. शांति बाजार लेफ्ट का गढ़ रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी त्रिपुरा में रैली को संबोधित करने से पहले अरुणाचल प्रदेश भी जाएंगे. यहां वे ईटानगर में सिविल सचिवालय कॉम्प्लेक्स की बिल्डिंग, कन्वेंशन हॉल का उद्घाटन करेंगे.
आपको बता दें कि त्रिपुरा में पहले चरण के लिए 18 फरवरी को चुनाव होगा. दूसरे चरण में मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को वोटिंग होगी. 3 मार्च को तीनों राज्यों के नतीजे आएंगे.
पीएम मोदी ने इससे पहले सोनामुरा में रैली को संबोधित करते हुए राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि त्रिपुरा ने गलत माणिक पहन लिया है, जब तक आप ये गलत माणिक नहीं उतारोगे, तब तक त्रिपुरा का भाग्य नहीं बदलेगा. पीएम ने कहा कि एक तरफ सरकार है और दूसरी तरफ जनता और जब जनता मैदान में उतरती है तो वो अच्छे-अच्छे सरकारों को उखाड़ कर फेंक देती है. उन्होंने कहा कि त्रिपुरा को अंधकार युग से बाहर लाकर, विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है.
गौरतलब है कि त्रिपुरा में 1978 के बाद से वाम मोर्चा सिर्फ एक बार 1988-93 के दौरान सत्ता से दूर रहा था. बाकी सभी विधानसभा चुनावों में लेफ्ट का कब्जा रहा है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों से वाममोर्चा जीतती आ रही है.
1998 से लगातार त्रिपुरा में 3 बार से सीपीएम के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के सामने इस बार बीजेपी एक बड़ी चुनौती बनी है. राज्य में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. वहीं बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है. नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट के क्षेत्रों पर फोकस किया है. इसके अलावा आरएसएस लगातार पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में सक्रिय है.
बता दें कि इस साल अप्रैल में त्रिपुरा विधानसभा चुनाव होने है. बीजेपी ने राज्य की सत्ता से लेफ्ट को बेदखल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. आरएसएस से लेकर बीजेपी के पन्ना प्रमुख बूथ स्तर के एक-एक वोटरों के संपर्क करने में जुटे हैं. राज्य में बीजेपी के प्रभारी राम माधव गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए हैं.
त्रिपुरा का सियासी समीकरण
त्रिपुरा के 2013 विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 60 सीटों में से वाममोर्चा ने 50 सीटें जीती थी, जिनमें से CPM को 49 और CPI को 1 सीट. जबकि कांग्रेस को 10 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा था, लेकिन तीन साल के बाद 2016 में कांग्रेस के 6 विधायकों ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ज्वाइन कर लिया था. इन छह विधायकों टीएमसी भी रह नहीं सके और सभी 6 विधायकों ने अगस्त 2017 में बीजेपी ज्वाइन कर ली थी.
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