देश के कई हिस्सों से सामने आए लिंचिंग के मामलों ने हर किसी को हैरत में डाल दिया है. राजस्थान के अलवर में कथित गोरक्षकों द्वारा की गई रकबर खान की हत्या का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें अलवर मामले को लेकर राजस्थान सरकार और अधिकारियों पर सर्वोच्च अदालत के निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 20 अगस्त को होगी. सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका तहसीन पूनावाला की तरफ से डाली गई है. आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किए थे, केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देशों का पालन करने को कहा था. लेकिन SC के आदेश के बावजूद भी देश में इस प्रकार की घटनाएं नहीं रुकीं.
क्या है अलवर मामला?
आपको बता दें कि राजस्थान के अलवर जिले में मॉब लिंचिंग में रकबर खान की मौत के मामले में राज्य पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप है कि पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाने की जगह बरामद गायों को पहले गौशाला पहुंचाने को तरजीह दी. यही नहीं, पुलिस ने खुद भी रकबर की पिटाई की. इसकी वजह से रकबर को अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे की देरी हुई और उसकी मौत हो गई.
उक्त आरोपों पर अलवर के एसपी राजेंद्र सिंह ने आजतक से कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी. मीडिया में आई खबरों में यह कहा गया था कि रकबर को अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे लग गए और पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाने की जगह पहले गायों को गौशाला तक पहुंचाने को प्राथमिकता दी.
गौरतलब है कि रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव में गो तस्करी के आरोप में कुछ कथित गोरक्षकों ने रकबर खान नामक एक शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था. लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए थे…
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस-
1. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
2. कानून का शासन कायम रहे यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है.
3. कोई भी नागरिक कानून अपने हाथों में नहीं ले सकता है.
4. संसद इस मामले में कानून बनाए और सरकारों को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए.
5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भीड़तंत्र के पीड़ितों को सरकार मुआवजा दे.