दोनों आतंकियों ने इस ड्रोन को लॉन्च कर एक दूसरे ड्रोन से उसकी विडियो बनाई। दोनों ड्रोन्स एक जैसे थे। यह ड्रोन फिर मोसुल के उस हिस्से पर से गुजरा, जिसपर इराकी गठबंधन सेना का कब्जा है। वहां इराकी सेना के एक आउटपोस्ट के ऊपर से गुजरते ड्रोन ने बम नीचे गिरा दिया। इस बम के धमाके से इराकी सेना में भगदड़ मच गई। अगले ही पल एक सैनिक जमीन पर गिरा नजर आया। उस सैनिक की या तो मौत हो चुकी थी, या वह घायल हो गया था। इराक के उत्तरी हिस्से में आईएस के दो आतंकी अपने हाथ नए हथियार का प्रदर्शन करते हुए देखे गए। आतंकियों के हाथ में एक छोटा सा ड्रोन था। ड्रोन 6 फिट चौड़ा था जिसमें एक बम भी बंधा हुआ था।
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यह इस तरह की अकेली घटना नहीं है। पिछले कुछ हफ्तों में आईएस की ओर से ऐसे कई ड्रोन हमले किए गए हैं। इन ड्रोन्स को संभालने और इनसे हमले करने के लिए पिछले महीने आईएस ने ‘मानवरहित एयरक्राफ्ट मुजाहिदीन’ का भी गठन किया। यह यूनिट इराकी गठबंधन के साथ हो रहे युद्ध में बम लगे इन ड्रोन्स के दस्ते का इस्तेमाल करेगी। आईएस का दावा है कि एक हफ्ते के अंदर ही 39 इराकी सैनिक ड्रोन्स हमले में मारे गए और हताहत हुए हैं। आईएस के आधिकारिक न्यूजलेटर अल-नाबा ने अपने ड्रोन्स दस्ते के बारे में बताते हुए लिखा, ‘काफिरों के लिए खौफ की एक नई चीज।
आईएस ने इन हमलों में मारे जाने और हताहत होने वाले इराकी सैनिकों की जो संख्या बताई है, वह बेशक असली आंकड़ों से ज्यादा है, लेकिन चिंता की वजह ये संख्याएं नहीं हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि आईएस अब ड्रोन्स के इस्तेमाल से बम गिरा रहा है। 2 साल पहले आईएस ने निगरानी रखने के मकसद से पहले-पहल ड्रोन्स की खरीदारी की थी। अब वह इस तकनीक का इस्तेमाल अपने दुश्मनों को मारने में भी कर रहा है। इस खतरे के मद्देनजर अमेरिकी और इराकी कमांडर्स ने मोर्चे पर तैनात अपने सैनिकों के लिए चेतावनी जारी की है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इस नए डिवेलपमेंट से आम नागरिकों के लिए एक गंभीर जोखिम पैदा हो रहा है। आशंका है कि भविष्य में आईएस इसका इस्तेमाल आम लोगों के खिलाफ भी कर सकता है।