अगर यहां भी निराशा मिलती है तो मैक्स अस्पताल फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकता है। बहरहाल, मैक्स प्रबंधन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मंगलवार दोपहर को बैठक के बाद अग्रिम विचार किया जाएगा।
लेकिन एक अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर देना जनहित में फैसला नहीं है। मैक्स के अनुसार, शालीमार बाग का अस्पताल हर दिन दिल्ली के अलावा बाहरी राज्यों से आने वाले करीब 4 से 5 हजार मरीजों का इलाज करता है।
जबकि 250 बेड वाले इस अस्पताल में कैंसर मरीजों को भी बेहतर उपचार दिया जाता है। हालांकि सरकार के फैसले को लेकर मैक्स का कहना है कि ईडब्ल्यूएस नियम का पालन अस्पताल ने हमेशा से किया है। ऐसे में डीजीएचएस की जांच पर मैक्स ने असंतुष्टि भी जताई है।