नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट मुसलमानों में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु पत्नी प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज से सुनवाई शुरू करेगा। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ सात याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी।

इनमें पांच याचिकाएं मुस्लिम महिलाओं ने दायर की हैं जिनमें मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक की प्रथा को चुनौती देते हुये इसे असंवैधानिक बताया गया है। इस पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ , न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर शामिल हैं। संविधान पीठ स्वत ही लिये गये मुख्य मसले को मुस्लिम महिलाओं की समानता की जुस्तजू नाम की याचिका के रूप में भी विचार के लिये लेगी।
इस मामले की सुनवाई इसलिए अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है क्योंकि शीर्ष अदालत ने ग्रीष्मावकाश के दौरान इस पर विचार करने का निश्चय किया और उसने यहां तक सुझाव दिया कि वह शनिवार और रविवार को भी बैठ सकती है तो इस मामले में उठे संवेदनशील मुद्दों पर शीघ्रता से निर्णय किया जा सके। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी इस मामले में संविधान पीठ की मदद करेंगे और यह भी देखेंगे कि मुस्लिम पर्सनल ला में न्यायालय किस सीमा तक हस्तक्षेप कर सकता है। शीर्ष अदालत ने स्वत: ही इस सवाल का संज्ञान लिया था कि क्या महिलाएं तलाक अथवा उनके पतियों द्वारा दूसरी शादी के कारण लैंगिक पक्षपात का शिकार होती हैं।
शीर्ष अदालत इस मसले पर विचार करके मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुपत्नीर प्रथा की संवैधानिकता और वैधता पर अपना सुविचारित निर्णय भी देगी। इस मामले में सुनवाई और भी महत्वपूर्ण हो गयी है क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही अपने एक फैसले में तीन तलाक की प्रथा को एक तरफा और कानून की दृष्टि से खराब बताया था। हाईकोर्ट ने अकील जमील की याचिका खारिज करते हुये यह फैसला सुनाया था। अकील की पत्नी ने उसके खिलाफ आपराधिक शिकायत दायर करके आरोप लगया है कि वह दहेज की खातिर उसे यातना देता था और जब उसकी मांग पूरी नहीं हुयी तो उसने उसे तीन तलाक दे दिया।
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