आज यानी 23 अक्टूबर को चित्रगुप्त पूजा का पावन पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को दीपावली के बाद भाई दूज के साथ ही पड़ता है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की आराधना की जाती है, जो मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। यह पर्व कायस्थ समाज के लिए बहुत महत्व रखता है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –
पूजा का शुभ मुहूर्त – दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक।
पूजा विधि और सामग्री
चित्रगुप्त पूजा को ‘कलम-दवात’ पूजा भी कहा जाता है।
इस दिन सुबह उठें और साफ वस्त्र पहनें।
एक वेदी पर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित करें।
पूजा में अपनी किताब, पेन आदि रखें।
इन्हें भगवान चित्रगुप्त का प्रतीक माना जाता है।
पूजा शुरू करने से पहले ‘ऊँ श्री गणेशाय नमः’ का जाप करें।
भगवान चित्रगुप्त का ध्यान करें और उन्हें रोली, चंदन, फूल, अक्षत और पंचामृत चढ़ाएं।
घी का दीपक और धूप जलाएं।
भगवान चित्रगुप्त की कथा का पाठ करें।
फल मिठाई आदि का भोग लगाएं।
पूजा के बाद आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें।
इस दिन भगवान से जाने-अनजाने में हुए पापों के लिए क्षमा मांगें। साथ ही आने वाले साल के लिए अच्छे कर्म करने का संकल्प लें।
चित्रगुप्त पूजन मंत्र
मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम्! महीतले।
लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते।।
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान चित्रगुप्त प्राणियों के शुभ-अशुभ कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यह दिन व्यापार से जुड़े लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है। कहा जाता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा करने और अपने पापों के लिए क्षमा मांगने से भगवान चित्रगुप्त खुश होतें हैं और ज्ञान का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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