विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता है और न इसे जोड़ना चाहिए। आतंक की किसी घटना को तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग बढ़ाने की अपील की ताकि मानवता के खिलाफ इस अपराध से लड़ा जा सके। UP निकाय चुनाव: BJP के लिए गुजरात में साबित हो सकती है ‘तुरुप का इक्का’
स्वराज रूस के सोची में आयोजित शंघाई कारपोरेशन आर्गनाइजेशन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा ले रही थीं। यह चीन के प्रभाव वाला सुरक्षा समूह है, जो नाटो को चुनौती देने के लिए तैयार किया जा रहा है।
सुषमा ने कहा कि भारत सभी तरह के आतंकवाद और उसके मकसद की निंदा करता है। भारत एससीओ के सदस्य के रूप में पहली बार भाग ले रहा है। जून में भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य बने थे।
सुषमा ने कहा कि वह एससीओ का सदस्य बनने पर पाकिस्तान को शुभकामनाएं देती हैं। यह बैठक बेहद अहम है क्योंकि भारत के सदस्य बनने के बाद यह परिषद की पहली बैठक है। वहीं यह भारत के पुराने दोस्त रूस की ओर से आयोजित की जा रही है।
2001 में हुई थी स्थापना
एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान ने मिलकर की थी। 2005 में भारत इसमें आब्जर्वर के रूप में शामिल हुआ। अभी इसमें आठ देश हैं, भारत, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान। वहीं चार आब्जर्वर देश, अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं।