भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि एसडीएफ के तहत पर्याप्त धन के बीच एमएसएफ (सीमांत स्थायी सुविधा) उधारी का ऊंचा स्तर बैंकिंग प्रणाली की लिक्विडिटी में विषमता की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा, ‘बैंकों का एक समूह एसडीएफ में हर दिन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा कर रहा है।
आरबीआई भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक के बाद बैंकों को सलाह दिया है कि वे अपने सरप्लस फंड का इस्तेमाल ऋण देने में करें। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि है कि बैंकों को एसडीएफ (स्थायी जमा सुविधा) में अपेक्षाकृत कम आकर्षक दरों पर धन जमा करने के बजाय अंतरबैंक कॉल मनी बाजार में ऋण देने के अवसर तलाशने चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि एसडीएफ के तहत पर्याप्त धन के बीच एमएसएफ (सीमांत स्थायी सुविधा) उधारी का ऊंचा स्तर बैंकिंग प्रणाली की लिक्विडिटी में विषमता की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा, ‘बैंकों का एक समूह एसडीएफ में हर दिन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा कर रहा है। कभी-कभी यह 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाता है। कई अन्य बैंक भी हैं जो आरबीआई के एमएसएफ से इतनी ही राशि उधार ले रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए जाहिर तौर पर बैंकिंग प्रणाली में नकदी का वितरण विषम है। यह भारित औसत कॉल दर/डब्ल्यूएसीआर (जो मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य है) की मजबूती में परिलक्षित होता है। टर्म स्ट्रक्चर के शॉर्ट-एंड में इस तरह की सख्ती के बावजूद, जी-सेक मार्केट में औसत टर्म स्प्रेड (10-वर्षीय जी-सेक माइनस 91-दिन टी-बिल) अगस्त और सितंबर में लगभग 40 आधार अंक पर रहा, जो स्थिर वित्तीय स्थितियों की ओर इशारा करता है।
उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में बैंकों ने 14 दिन के मुख्य वीआरआरआर (परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो) परिचालन में धन की पेशकश करने के बजाय ओवरनाइट एसडीएफ के तहत धन रखने को प्राथमिकता दी है। दास ने कहा, ‘यह जरूरी है कि बैंक रिजर्व मेंटेनेंस साइकल पर अपनी वास्तविक नकदी जरूरतों का आकलन करें और आरबीआई के मुख्य 14 दिवसीय वीआरआरआर परिचालन के तहत नीलामी में उसी के अनुसार बोली लगाएं। कॉल मनी लेनदेन की अधिक मात्रा न केवल मुद्रा बाजार में गहराई लाएगी, बल्कि एमएसएफ के लिए घाटे वाले बैंकों के सहारा को भी कम करेगी।