जनरल बाजवा ने कहा कि पाक मदरसों पर अक्सर आरोप लगता है कि वे युवाओं को कट्टरपंथी बना रहे हैं लेकिन यह भी सच है कि देश में लाखों गरीब बच्चों के पास मदरसों के अलावा शिक्षा का कोई दूसरा जरिया तक नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि हमें मदरसों की अवधारणा पर दोबारा विचार करके छात्रों को दुनियादारी की शिक्षा देने का रास्ता खोलना होगा। बाजवा ने कहा कि अच्छी तालीम न मिलने के कारण 20 करोड़ से ज्यादा आबादी वाला पाक आगे नहीं बढ़ पा रहा है। अधिकांश मदरसे छात्रों को धार्मिक शिक्षा दे रहे हैं लेकिन उससे देश का भविष्य कैसे बनेगा।
पाकिस्तान में कुल 20 हजार से अधिक मदरसे रजिस्टर्ड हैं जबकि हजारों मदरसे आज भी बिना किसी रजिस्ट्रेशन के ही संचालित हो रहे हैं। कुछ मदरसे तो ऐसे हैं जो सिर्फ एक छोटे से कमरे में ही चल रहे हैं। पाक में संचालित अधिकांश मदरसे देवबंदी हैं, जबकि छोटे मदरसों में मुट्ठी भर छात्र ही कुरान शरीफ पढ़ते हैं। सुरक्षा एजेंसियां भी इन मदरसों पर बराबर नजर बनाए रखती हैं, क्योंकि इनमें छात्रों को कट्टरपंथी बनाया जाता है। इस कारण छात्रों के आतंकवाद की तरफ प्रेरित होने की संभावना बढ़ जाती है।