महर्षि भास्कराचार्य जी ने गणित कि सबसे पहली पुस्तक लिखी जिसका नाम “लीलावती” था। लीलावती महर्षि भास्कराचार्य जी बेटी थी, उन्होंने अपनी बेटी के नाम पर पुस्तक लिखी थी। वो जो अपनी बेटी को जो पढ़ाते थे वही उस पुस्तक में लिखते थे। लीलावती के बारे में कहा जाता है कि वो इतनी कुसागर और तीव्र बुद्घि थी कि वो पेड़ के पत्ते गिन सकती थी और जब भी उसे पेड़ के पत्ते गिनने के लिये कहा गया तो वास्तव में उतने ही पत्ते निकलते थे जिनते होते थे।

उनको सब कहते थे कि तुम्हारी बुद्धि बहुत चलती है तो वो कहती थी कि सब पिताजी की कृपा है और उन्होंने ही मुझे गणित सिखाया है दोस्तों पेड़ के पत्ते गिन लेना कोई आसान काम नहीं है ये कुछ ऐसा ही काम है जैसे आसमान में तारे गिनना और लीलावती इसमे सिदस्त थी।
लीलावती के नाम से गणित की पुस्तक प्रकाशित हुई जो गणित कि पहली पुस्तक थी और सारी दुनिया ने उस पुस्तक को आधार बनाकर अपने यहा गणित का कौर्स बनाया है। सभी देशो ने अपने देश में गणित का सिलेबस लीलावती का आधार पर बनाया है।
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