भारत के उत्तर प्रदेश में सहारनपुर शहर के निकट एक नटों का गांव है, जो रस्सी पर चलने की कलाबाजी दिखाते हैं। इस गांव में एक अनोखी प्राचीन परंपरा का पालन आज भी किया जाता है। इस परंपरा के तहत गांव वाले अपने परिवार के मृत बच्चों का विवाह बिलकुल जीवित लोगों के ब्याह की तरह आयोजित करते हैं। इनका विश्वास है कि ऐसा करने से उनके स्वर्गवासी बच्चों की आत्मा को शांति मिलेगी और वो मोक्ष प्राप्त करेंगे।
एलियन समझ पकड़ लिया ऐसा जीव, जब पता चला सच तो पैरों तलें निकली जमीन
प्रतीकात्मक वर वधु
मृत पुत्र और पुत्री वाले अपने सालों पहले ही गुजर चुके बच्चों के रिश्ते आपस में तय कर देते हैं। इसमें वर और वधु दोनों ही मर चुके होते हैं। इसके बाद उन दोनों के प्रतीक स्वरूप गुड्डे गुड़िया बनाये जाते हैं और उनकी धूम धाम से सारे रीति रिवाजों के साथ शादी की जाती है। विवाह में पूरा समाज इकठ्ठा होता है और नाच गाने से ले कर प्रीति भोज तक सब किया जाता है। नटों के इस समाज में ऐसा करने के बाद उम्मीद की जाती है कि मृतकों को दूसरी दुनिया में सभी कष्टों से मुक्ति मिल गई होगी।
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